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Ground Report: एक सीट ऐसी भी जहां ससुर को टक्कर दे रहीं दो बहुएं… समझिए हिसार सीट का चुनावी गणित

Lok Sabha Elections: एक दौर में ताऊ के नाम से मशहूर चौधरी देवीलाल का सियासत में डंका बजता था। वर्ष १९८९ में प्रधानमंत्री पद ठुकरा कर उन्होंने वीपी सिंह के लिए राह खोली थी। देश की तीन लोकसभा सीटों पर एक साथ चुनाव लडऩे वाले देवीलाल रोहतक और राजस्थान के सीकर से चुनाव जीते लेकिन तीसरी सीट फिरोजपुर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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Hisar hariyana lok sabha elections

Lok Sabha Elections: एक दौर में ताऊ के नाम से मशहूर चौधरी देवीलाल का सियासत में डंका बजता था। वर्ष १९८९ में प्रधानमंत्री पद ठुकरा कर उन्होंने वीपी सिंह के लिए राह खोली थी। देश की तीन लोकसभा सीटों पर एक साथ चुनाव लडऩे वाले देवीलाल रोहतक और राजस्थान के सीकर से चुनाव जीते लेकिन तीसरी सीट फिरोजपुर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। ऐसे ताऊ की राजनीतिक विरासत अब हरियाणा में बिखर चुकी है। हिसार में भी इसी विरासत के नाम पर देवीलाल के परिवार में ही घमासान मचा है। हरियाणा के हिसार लोकसभा क्षेत्र में चुनावी चौसर चौधरी देवीलाल के परिजनों के बीच ही बिछी है। चौधरी देवीलाल के पुत्र एवं नायब सिंह सैनी की सरकार में बिजली मंत्री रणजीत चौटाला भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं तो इसी परिवार की दो बहुओं ने भी मैदान में उतरकर चुनावों को रोमांचक बना दिया है। एक बहू नैना चौटाला जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के टिकट पर तो दूसरी बहू सुनैना चौटाला इनेलो प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। परिवार के इस घमासान का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश उर्फ जेपी को मैदान में उतारा है। जेपी हिसार से तीन बार अलग-अलग पार्टियों से सांसद, चन्द्रशेखर की सरकार में मंत्री और एक बार विधायक भी रह चुके हैं। पढ़िए रमेश शर्मा की ग्राउंड रिपोर्ट

हिसार सीट का चुनावी गणित

हिसार सीट पर भाजपा ने 2019 में एक बार जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस अब तक सात बार जीत चुकी हैं। भजनलाल और देवीलाल परिवार का करीब तीन दशक तक यहां दबदबा रहा। हिसार से दुष्यंत चौटाला 2014 में सांसद रहे। इसी आधार पर दुष्यंत ने अपनी मां नैनादेवी को जेजेपी के टिकट पर चुनाव में उतारा है। दुष्यंत के लिए यह सीट साख का सवाल भी है। सीधे तौर पर इस सीट पर मुकाबला चतुष्कोणीय बन रहा है। हिसार लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें हिसार जिले में आदमपुर, उकलाना, नारनौंद, हांसी, बरवाला, हिसार और नलवा तथा जींद जिले का उचाना कलां और भिवानी जिले का बवानी खेड़ा है। इनमें पांच सीटों पर भाजपा काबिज है। जेजेपी के विधायक रामकुमार गौतम और जोगीराम सिहाग का समर्थन रणजीत चौटाला को मिल रहा है। यानी नौ में से सात पर भाजपा की पकड़ है, लेकिन यह गणित इतनी आसान भी नहीं है। सीट पर करीब छह लाख जाट मतदाता हैं। जाट वोट बैंक को साधने के लिए सभी दलों ने जाट चेहरे उतारे हैं। कई जाट भाजपा के विरोध में बताए जा रहे हैं। ऐसे में ओबीसी, ब्राह्मण, अग्रवाल और एससी मतदाताओं का रुख लोकसभा का फैसला करेगा। सावित्री और नवीन जिंदल को भाजपा में शामिल करने का फायदा भाजपा को हिसार में भी मिलेगा। हिसार को स्टील सिटी की पहचान जिंदल परिवार ने ही दिलाई। यहां इनका अच्छा प्रभाव माना जाता है। किसान कोर मतदाता हैं। किसान आंदोलन में दुष्यंत चौटाला का भी विरोध हुआ है।

बीजेपी और जेजेपी का 'सेट गेम'

अब भाजपा रणनीति बदलते हुए गैर-जाट वोट बैंक पर फोकस कर रही है। आम धारणा है कि बीजेपी और जेजेपी 'सेट गेम' के तहत अलग हुए हैं। जेजेपी जाट और बीजेपी गैर जाट पार्टी मानी जाती है। जाटों के वोट अगर कांग्रेस को मिलते हैं तो इसका नुकसान भाजपा को हो सकता था। चुनावी समीकरणों से इतर मतदाता के मन की थाह लेने के लिए मैंने हिसार शहर के अनेक क्षेत्रों में आम मतदाताओं से चर्चा की। ओपी जिंदल ज्ञान केन्द्र के बाहर बैठे चार लोगों से बात शुरू की। चर्चा  के दौरान वे एक मत नहीं थे। मनोज और जगदीश ने मोदी की पैरवी की। किशन ने कांग्रेस को मजबूत बताया। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कैम्पस में  अनेक लोगों से बात करने का प्रयास किया लेकिन गिने-चुने लोगों ने ही रुचि दिखाई। अग्रसेन चौक पर व्यापारी सुरेश गुप्ता और राजकुमार ने बताया कि हिसार में अच्छी टक्कर दिखाई दे रही है। दोनों बहुएं जितने वोट काटेंगी, उतना ही भाजपा को फायदा होगा। 

कोई महिला सांसद नहीं बनी

हिसार से कभी कोई महिला सांसद नहीं चुनी गईं। इस बार एक की परिवार की दो महिलाएं क्षेत्रीय पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी हैं। हालांकि लोग मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस को ही मानते हैं। इससे पहले यहां से तीन महिलाएं निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरी हैं।

दुष्यंत चौटाला की सधी हुई चाल

दुष्यंत चौटाला हिसार लोकसभा सीट से 2014 में इनेलो के टिकट पर जीते। इस बार भी उतरते तो टक्कर दिलचस्प होती। सधी हुई राजनीति करते हुए विधानसभा चुनाव से पहले किसानों के आक्रोश को कम करने के लिए वह सीधे मुकाबले में नहीं आए और मां को मैदान में उतारा। उनका फोकस विधानसभा चुनाव में रहेगा।   

भव्य को 'पुरस्कार' देने  पर माने विश्नोई

कुलदीप विश्नोई हिसार से 2011 के उपचुनाव में हरियाणा जनहित कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे। इसके बाद वह कांग्रेस में चले गए। हिसार से टिकट की उम्मीद में अब भाजपा में शामिल हुए। टिकट नहीं मिलने से कुलदीप और उनके पुत्र आदमपुर विधायक भव्य विश्नोई शुरुआत में भाजपा उम्मीदवार रणजीत चौटाला के समर्थन में नहीं आए। सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मनाया और भव्य को प्रदेश युवामोर्चा का प्रभारी बनाया। अब वे विश्नोई बेल्ट में जोर लगा रहे हैं। 

 खट्टर की प्रतिष्ठा  का सवाल  

रणजीत चौटाला वर्ष 2000 का विधानसभा चुनाव रोड़ी से अपने भाई ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ लड़ चुके हैं। उन्हें हाल ही भाजपा में शामिल किया गया। उनका नामांकन करवाने मनोहर लाल खट्टर आए थे। खट्टर और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हिसार सीट को भी प्रतिष्ठा से जोड़ दिया है। वे नियमित तौर पर यहां आकर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने की कोशिश करते हैं। सिरसा की तरह यहां भी किसान आंदोलन का साफ असर दिखाई देता है।

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