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‘मैं दुनिया भर में फेमस हो गया, कई वकीलों ने मुझसे…’, Stray Dogs पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने आवारा कुत्तों के मामले में दिए गए अपने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस फैसले ने उन्हें देश ही नहीं, दुनिया में मशहूर कर दिया है! उन्होंने 11 अगस्त के आदेश में संशोधन करते हुए केवल नसबंदी के बाद कुत्तों को छोड़ने का आदेश दिया था। इससे पहले, दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को स्थायी आश्रय में भेजने के आदेश पर देशव्यापी विरोध हुआ था। जस्टिस नाथ ने अपने फैसले को लेकर मिल रहे समर्थन और शुभकामनाओं का भी जिक्र किया।

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भारत

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Mukul Kumar

Aug 31, 2025

Supreme Court Decision on stray dogs in Delhi-NCR

सुप्रीम कोर्ट। (फोटो- IANS)

Stray Dogs पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक स्पेशल पीठ ने 22 अगस्त को नया आदेश जारी किया था। उन्होंने 11 अगस्त को जारी हुए दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले में संसोधन किया था। जिसमें आवारा कुत्तों को सड़क पर नहीं छोड़ने की बात कही गई थी।

अब न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा है कि काफी समय से मैं कानूनी बिरादरी में अपने छोटे-मोटे कामों के लिए जाना जाता रहा हूं, लेकिन मैं आवारा कुत्तों का भी आभारी हूं, जिन्होंने मुझे न केवल इस देश में, बल्कि दुनिया भर में पहचान दिलाई। इसके साथ, मैं अपने मुख्य न्यायाधीश का भी आभारी हूं, जिन्होंने मुझे यह मामला सौंपा।

बता दें कि जस्टिस विक्रम नाथ केरल के तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित मानव-वन्यजीव संघर्ष पर एक क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान, उन्होंने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि वह कुछ दिनों पहले एक कार्यक्रम में गए थे, जहां कई वकीलों ने उनसे आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सवाल पूछे थे। जिसका उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया। जस्टिस विक्रम ने आगे कहा कि मुझे यह भी संदेश मिल रहे हैं कि कुत्ते प्रेमियों के अलावा, कुत्ते भी मुझे आशीर्वाद और शुभकामनाएं दे रहे हैं।

क्या है मामला?

बता दें कि जस्टिस जे बी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने 11 अगस्त को आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर घूमने वाले सभी आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से आश्रय गृहों में भेज दिया जाना चाहिए, जहां से उन्हें सड़क पर छोड़ने की कोई गुंजाइश नहीं हो।

इस आदेश पर देश भर में जमकर बवाल हुआ। इसके विरोध में कई वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने याचिकाएं दायर कीं, जिसमें कहा गया कि यह आदेश मौजूदा कानूनों के विपरीत है।

इसके बाद, यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की बड़ी पीठ के पास पहुंचा। जिन्होंने नया आदेश जारी किया। उन्होंने केवल नसबंदी के लिए कुत्तों को पकड़ने और फिर उन्हें वापस उनके इलाकों में छोड़ने का फैसला सुनाया। इसके साथ, सुप्रीम कोर्ट ने आवारा पशुओं के भोजन को लेकर नए दिशानिर्देश भी जारी किए।