
2006 के मुंबई विस्फोट मामले में बरी हुए अब्दुल वाहिद शेख। फोटो- X/BegunahQaid
2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट (2006 Mumbai Blast Case) मामले में निचली अदालत ने सबसे पहले 2015 में अब्दुल वाहिद शेख को बरी किया था। अब उन्होंने 'गलत कैद' और 'हिरासत में यातना' को लेकर 9 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है।
शेख ने मुआवजे को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग (Maharashtra Human Right Commission) में आवेदन दिया है। उन्होंने कहा कि नौ साल की गलत कैद ने उनके करियर, शिक्षा और निजी जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।
उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में यातना की वजह से उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ा। बता दें कि शेख को महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया था।
नौ साल बाद, 2015 में अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। अब शेख का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद उन्हें 'आतंकवादी' कहा गया। इस कलंक ने रिहाई के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं की। इसकी वजह से शेख को रिहा होने के बाद भी कहीं काम नहीं मिला।
शेख के मुताबिक, वह फिलहाल एक स्कूल टीचर हैं, इसके साथ, अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि जेल में रहने के दौरान उनके परिवार को सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ा।
शेख ने कहा कि उन पर लगभग 30 लाख रुपये का कर्ज भी था। अपने आवेदन में शेख ने कहा कि नैतिक कारणों से उन्होंने दस सालों तक कोई भी मुआवजा नहीं मांगा। क्योंकि उनके साथ गिरफ्तार हुए आरोपी दोषी ठहराए जा चुके थे।
शेख ने अपने आवेदन में आगे कहा कि मैंने तब तक इंतजार करने का फैसला किया, जब तक मेरे साथ गिरफ्तार हुए सभी आरोपी बरी नहीं हो जाते और निर्दोष साबित नहीं हो जाते।
निचली अदालत ने 2015 में शेख को बरी कर दिया था, लेकिन अन्य 12 लोगों में से पांच को मौत की सजा सुनाई थी। वहीं, सात को आजीवन कारावास की सजा मिली थी। मृत्युदंड की सजा पाए एक दोषी की 2021 में मृत्यु हो गई।
वहीं, जुलाई 2025 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। बता दें कि 11 जुलाई, 2006 को मुंबई में पश्चिम रेलवे के उपनगरीय नेटवर्क पर हुए सात रेल विस्फोटों में 180 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
Published on:
13 Sept 2025 10:12 am
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