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मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, विधायक का घर जलाया, हालात बेकाबू

Manipur Violence: हर तरह की कोशिश के बाद भी मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। बताया जा रहा है कि उग्रवादियों ने काकचिंग जिले में स्थित 100 घरों में आग लगा दी है। इसके अलावा एक विधायक के आवास को भी आग के हवाले कर दिया।

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Manipur Violence: अमित शाह के चार दिवसीय दौरे का भी मणिपुर में कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।उनके दौरे के तुरंत बाद मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक काकचिंग जिले के सेरो गांव में कुछ उपद्रवियों ने 100 घरों में आग लगा दी। इसमें कांग्रेस विधायक रंजीत सिंह का घर भी शामिल है। बता दें कि, राज्य में 3 मई से मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच भयंकर झड़प हो रही है। लेकिन फ़िलहाल जो तांडव हुआ है उसे किस समुदाय के लोगों ने अंजाम दिया है, इसके बारे में जानकारी नहीं मिली है। 3 मई को शुरू हुई हिंसा में अब तक 98 लोगों की मौत हो चुकी है। 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। वहीं, लगभग 40 हजार से ज्यादा लोगों को हिंसा से बचाने ले लिए राहत शिविर में शिफ्ट किया गया। हिंसा के चलते 11 से ज्यादा जिले प्रभावित हुए हैं, और हालात अभी भी नाजुक बना हुआ है।


सुरक्षाबलों की यूनिट पर भी हमला

मणिपुर में हालात कितने नाजुक हैं और उपद्रवियों का मन कितना बढ़ा हुआ है इस बात का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं की इन्होनें अब जिले के ग्रामीण इलाकों में तैनात BSF के एक दल पर भी गोलीबारी करना शुरू कर दिया है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि इन्हें अब सुरक्षाबलों का भी कोई खौफ नहीं रहा। उपद्रवियों ने इस पोस्ट पर मोर्टार से हमला किया गया। लेकिन अच्छी खबर ये है कि इसमें अभी तक कोई जवान हताहत नहीं हुआ। पुलिस को संदेह है कि इस पोस्ट पर हमले के लिए संदिग्ध लोगों ने चुराए गए हथियारों का इस्तेमाल किया गया है।

पूरा मामला जानिए

बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं।

राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है। अब वक्त आ गया है कोई सख्त निर्णय लेने का, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब देश के सबसे खुबसूरत राज्यों में से एक राज्य की स्थिति संभाले नहीं संभलेगी।

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