
कोर्ट। पत्रिका फाइल फोटो
आंध्र प्रदेश के दो खूंखार नक्सली देवूजी और राजी रेड्डी काफी समय से लापता हैं। अब उनके परिवार का कहना है कि दोनों नक्सलियों को मुठभेड़ के बाद पुलिस ने हिरासत में लिया था, तब से वह गायब हैं। उधर, पुलिस ने हिरासत में लिए जाने की बात से साफ इनकार कर दिया है।
इस मामले को लेकर नक्सलियों के परिवार ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कोर्ट में हेबियस कॉर्पस पिटीशन दाखिल किया। जिसपर गुरुवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ताओं को अहम निर्देश दिए।
एक डिवीजन बेंच ने कहा कि कोर्ट हेबियस कॉर्पस पिटीशन में तभी दखल दे सकता है, जब गैर-कानूनी कस्टडी को सपोर्ट करने वाला बेसिक मटीरियल उसके सामने रखा जाए।
जस्टिस सी मानवेंद्रनाथ रॉय और जस्टिस जी तुहिन कुमार की बेंच ने देवूजी के भाई टिप्पिरी गंगाधर और राजी रेड्डी की बेटी स्नेहलता की दायर हेबियस कॉर्पस अर्जी पर सुनवाई की।
परिवार वालों का आरोप था कि दोनों माओवादी नेताओं को 18 नवंबर को एक एनकाउंटर के बाद पुलिस ने कस्टडी में लिया था।
पिटीशनर्स की ओर से पेश हुए वकील यू जयभीम राव ने कहा कि देवूजी और राजी रेड्डी को ऑपरेशन के दौरान पकड़ा गया था।
इसके साथ, वकील ने कोर्ट से पुलिस को उन्हें अदालत में पेश करने का आदेश देने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों माओवादियों के साथ आए कुछ लोगों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जिनका अब तक कोई पता नहीं चल पाया है।
उधर, पुलिस की ओर से पेश हुए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर टी विष्णुतेजा ने इन आरोपों को गलत बताया और कहा कि देवूजी और राजी रेड्डी पुलिस कस्टडी में नहीं थे।
आंध्र प्रदेश में आए दिन नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई होती है। हाल ही में, मारेड्डुमिल्ली में हुई मुठभेड़ में 7 नक्सली मारे गए, जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल थीं।
इनमें से एक प्रमुख नक्सली मेटुरी जोखा राव उर्फ शंकर था, जो आंध्र-ओडिशा बॉर्डर एरिया कमेटी में महत्वपूर्ण पद संभालता था।
Updated on:
21 Nov 2025 11:39 am
Published on:
21 Nov 2025 11:38 am
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