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मोदी सरकार की GST का सुधार का किया समर्थन, लेकिन विपक्षी शासित राज्यों ने रख दी ये 3 बड़ी शर्तें

GST Reforms: विपक्ष ने मोदी सरकार के जीएसटी सुधार का समर्थन किया है, लेकिन सरकार के सामने 3 बड़ी शर्तें रख दी है। इसकी जानकारी कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दी है।

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Support for GST reform

जीएसटी सुधार का समर्थन (फोटो-IANS)

GST Reforms: पीएम मोदी (PM Modi) ने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर GST सुधार का ऐलान किया था। उन्हें इस सुधार को देशवासियों के लिए दिवाली का तोहफा करार दिया था। अब इसका विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने समर्थन किया है। उन्होंने जीएसटी दरों (GST Rates) में कटौती और स्लैब की संख्या कम करने के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए तीन मांगें रखी हैं।

8 राज्यों ने रखी तीन मांगे

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष-शासित आठ राज्यों- कर्नाटक, केरल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और झारखंड ने जीएसटी दरों में कटौती और स्लैब की संख्या कम करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालांकि, इन राज्यों ने इसके साथ ही केंद्र सरकार के समक्ष तीन महत्वपूर्ण मांगें भी रखी हैं।

ये हैं तीन मांगे

कांग्रेस नेता ने बताया कि विपक्षी शासित राज्यों की पहली मांग है कि एक ऐसी व्यवस्था स्थापित की जाए जो यह सुनिश्चित करे कि जीएसटी दरों में कटौती का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे। दूसरी मांग यह है कि पांच वर्षों तक सभी राज्यों को मुआवजा दिया जाए, जिसमें 2024/25 को आधार वर्ष माना जाए, क्योंकि दरों में कटौती से राज्यों की राजस्व आय पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है। तीसरी मांग के अनुसार, 'सिन गुड्स' और लग्जरी वस्तुओं पर 40 फीसदी से अधिक अतिरिक्त शुल्क लगाया जाए और इससे होने वाली पूरी आय राज्यों को हस्तांतरित की जाए। जयराम ने आगे कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार अपनी कुल आय का लगभग 17-18 फीसदी विभिन्न उपकरों से प्राप्त करती है, जो राज्यों के साथ साझा नहीं किए जाते।

कांग्रेस कर रही लंबे समय से GST 2.0 की मांग

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद ने कहा कि कांग्रेस लंबे समय से GST 2.0 की मांग कर रही है, जो न केवल स्लैब को कम करे और दरों में कटौती करे, बल्कि प्रक्रियाओं और अनिवार्य औपचारिकताओं को भी सरल बनाए। उन्होंने कहा कि लघु उद्योगों के लिए यह काम करना आवश्यक है।

कांग्रेस पार्टी सभी राज्यों के हितों की पूरी तरह से रक्षा सुनिश्चित करने की अनिवार्यता पर भी ज़ोर दे रही है। उम्मीद है कि अगले सप्ताह होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक केवल सुर्खियां बटोरने का एक अभ्यास नहीं होगी। जैसा कि मोदी सरकार के साथ अक्सर होता रहा है, बल्कि यह सच्चे सहकारी संघवाद की भावना को भी अक्षरशः आगे बढ़ाएगी।