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मोदी सरनेम मानहानि केस: वो 2 दलीलें जिनसे राहुल गांधी को मिली ‘रहत’, जानिए सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ

Rahul Gandhi Modi Surname Case: मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को दी गई सजा पर अंतरिम रोक लगा दी है। SC के इस फैसले के बाद कांग्रेस में ख़ुशी की लहर है। सुनवाई के दौरान पहले सिंघवी ने फिर बाद में जेठमलानी ने अपनी दलीलें रखी। सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ और किन वजहों से राहुल को राहत मिली, आइये जानते हैं।

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वो 2 दलीलें जिसने राहुल गांधी की सजा पर लगाई रोक, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ

वो 2 दलीलें जिसने राहुल गांधी की सजा पर लगाई रोक, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ

Rahul Gandhi Modi Surname Case: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी को 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में सर्वोच्च अदालत से फौरी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने आज अंतरिम आदेश में कांग्रेस नेता की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में बड़ी बात यह भी यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल लोकसभा सदस्यता बहाल हो सकती है। आज अदालत में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी का पक्ष वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने और याचिकाकर्ता पुर्णेश मोदी का पक्ष महेश जेठमलानी ने रखा। सिंघवी के किन दलीलों के कारण अदालत ने राहुल की सजा पर रोक लगाई आइये जानते हैं...


बता दें कि 23 मार्च को सूरत की एक अदालत आपराधिक मानहानि मामले में राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। फिर गुजरात हाई कोर्ट ने सजा को बरक़रार रखा थे जिसे सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी गई। अब सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता वापस पाने के लिए अपील कर सकते हैं। राहुल की सजा पर अगर लोकसभा चुनाव तक रोक रहती है, तो वे चुनाव भी लड़ सकते हैं। सर्वोच्च अदालत के फैसले को कांग्रेस ने सत्य की जीत बताई है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस मामले में आज करीब डेढ़ घंटे की सुनवाई की, जिसके बाद यह फैसला आया।


आइये उन दलीलों के बारे में जानते हैं जिसके आधार पर अदालत ने राहुल को राहत दी

1. मोदी उपनाम केस में राहुल गांधी का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हम न तो रेपिस्ट हैं और ना ही कोई हत्यारा। इसके बावजूद एक मानहानि केस में हमें अधिकतम सजा दी गई है। यह किस आधार पर दी गई, इस बारे में नहीं बताया गया।

सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट ने अन्य दर्ज मुकदमों का आधार बना दिया, जबकि राहुल पर अधिकांश केस राजनीतिक द्वेष से दर्ज किया गया है। हम उन केसों की लिस्ट आपको दे रहे हैं, जो बीजेपी वर्कर्स ने दर्ज कराए हैं। जिन धाराओं में केस दर्ज किया गया था, बयान के मेरिट के हिसाब से वो बनता ही नहीं था।

गवाही के वक्त गवाह ने भी स्वीकार किया कि राहुल ने किस इरादे से यह बयान दिया इस बारे में उसे कुछ ज्ञात नहीं है। राहुल का भाषण किसी एक व्यक्ति को लेकर नहीं था। फिर भी हम 8 साल तक चुप रहने की सजा दे दी गई है। सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के विद्वान जज ने अधिकतम सजा सुनाते वक्त कोई कारण नहीं बताया। इस केस में अधिकतम सजा 2 साल या जुर्माना या दोनों है।

2. सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सजा देते वक्त राहुल गांधी वायनाड से सांसद थे। इस सजा वाले फैसले की वजह से उनके क्षेत्र के जनता का अधिकार प्रभावित हुआ है। आपराधिक मानहानि केस में सजा देते वक्त उन्हें अपराधी की तरह देखा गया।

सिंघवी ने आगे कहा कि हम फैसले के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय भी गए। वहां मई में मैंने सुनवाई खत्म की, लेकिन कोर्ट का फैसला जुलाई में आया। अदालत यह जानती की की मामला लोकसभा की सदस्यता का है फिर भी कोर्ट ने 66 दिनों तक आदेश रोके रखा।

आज फैसला देते वक्त जस्टिस BR गवई ने कहा कि सारा मामला अधिकतम सजा देने की वजह से फंसा है। अगर ट्रायल कोर्ट 2 साल से 1 दिन कम की सजा सुनाती तो राहुल गांधी की सदस्यता बची रह सकती थी। कोर्ट ने आगे कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज की ओर से अधिकतम सजा देने का कारण न बताना और एक जनप्रतिनिधि की सदस्यता के मामले को देखते हुए दोषसिद्धी पर रोक लगाई जाती है। सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर भी टिप्पणी की। जस्टिस गवई ने कहा कि इतना बड़ा फैसला देने वाले विद्धान जजों ने इन बातों पर गौर नहीं किया।

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