
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने न केवल देश को झकझोर दिया, बल्कि भारत के मुस्लिम समुदाय के दिलों में भी गहरी चोट पहुंचाई। इस हमले में 26 निहत्थे पर्यटकों की निर्मम हत्या ने पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ा दी। जुम्मे की नमाज के बाद, देशभर के शहरों में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए, पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद किया। यह प्रदर्शन न केवल एकजुटता का प्रतीक था, बल्कि उस गहरे दर्द और गुस्से भी है।
मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम के इटारसी में जयस्तंभ चौक पर शुक्रवार को सैकड़ों मुस्लिम समुदाय के लोग एकत्र हुए। “पाकिस्तान मुर्दाबाद” और “आतंकवाद खत्म करो” के नारों से आसमान गूंज उठा। प्रदर्शनकारियों ने आतंकवादियों का पुतला जलाकर अपने गुस्से का इजहार किया। उनके चेहरों पर दुख और आक्रोश साफ झलक रहा था, मानो वे कह रहे हों कि यह हमला न केवल निर्दोष लोगों पर, बल्कि उनके विश्वास और इंसानियत पर भी प्रहार है।
उत्तर प्रदेश के एटा में भी मुस्लिम समुदाय ने सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हाथों में तख्तियां लिए, जिन पर “पाकिस्तान मुर्दाबाद” और “आतंकवाद का अंत करो” लिखा था, प्रदर्शनकारी एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। मुस्लिम नेता शराफत हुसैन ने भावुक होकर कहा, “पहलगाम में आतंकियों ने निहत्थे लोगों की हत्या कर मुसलमानों के सीने में खंजर घोंप दिया। यह हमला सिर्फ हिंदुओं पर नहीं, बल्कि इंसानियत पर हमला है।” उन्होंने बताया कि हमले के पहले दिन से ही देशभर में मुस्लिम समुदाय आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। एटा में गुरुवार को हिंदू और मुस्लिम समुदाय ने एकजुट होकर अपने कारोबार बंद रखे, और शुक्रवार को 30 से ज्यादा मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन हुए।
शराफत हुसैन ने गुस्से में कहा, “हम मोदी सरकार से गुजारिश करते हैं कि पाकिस्तान से जंग लड़े और इसका नामों-निशान दुनिया के नक्शे से मिटा दे।” उन्होंने यह भी बताया कि पहलगाम में बचे हुए पर्यटक कश्मीरी मुस्लिम समुदाय की तारीफ कर रहे हैं, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर उनकी रक्षा की। “हमारी सरकार से मांग है कि हमें सबसे पहले बॉर्डर पर भेजा जाए। हम अपनी जान देकर भी पाकिस्तान को खत्म करेंगे,” उन्होंने जोड़ा।
सोनभद्र के राबर्ट्सगंज में जामा मस्जिद के पास जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय ने आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया। हिदायत उल्ला खान ने कड़े शब्दों में कहा, “पाकिस्तान हिंदुस्तान से न उलझे। हमारी सरकार से मांग है कि पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई की जाए।” इसी तरह, हाथरस के मुरसान कस्बे में मुस्लिम समाज ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए प्रदर्शन किया।
भोपाल में प्रदर्शनकारियों की आवाज में गहरी पीड़ा और गुस्सा था। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “पाकिस्तान के आतंकियों ने भारत के मुसलमानों का नाम बदनाम कर दिया। हमारा मजहब इंसानियत सिखाता है। खुदा की कसम, अगर हमें इजाजत मिले, तो हम पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर देंगे।” उन्होंने जोर देकर कहा, “मोदी जी, हमें बॉर्डर पर भेजें। हम सबसे पहले गोली खाएंगे और पाकिस्तान की छाती पर गोली मारेंगे। हम भारत का झंडा फहराएंगे।”
यह प्रदर्शन केवल गुस्से का इजहार नहीं थे, बल्कि देशभक्ति और एकता का जीवंत प्रमाण थे। मुस्लिम समुदाय ने साफ कर दिया कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता, और वे अपने देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। पहलगाम हमले ने जहां एक ओर दुख और शोक की लहर पैदा की, वहीं इसने भारत के मुस्लिम समुदाय को एक नई ताकत और संकल्प भी दिया—आतंकवाद और उसके प्रायोजक पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का। यह आवाज अब देश के कोने-कोने से उठ रही है, और इसका एक ही संदेश है: “पाकिस्तान का नामों-निशान मिटा दो!”
Updated on:
02 May 2025 10:20 pm
Published on:
02 May 2025 08:43 pm
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