INS Arnala: बुधवार को भारतीय नौसेना में पहला एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘आईएनएस अर्नाला’ औपचारिक रूप से शामिल हो गया। इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान भी मौजूद थे। नौसेना के मुताबिक यह युद्धपोत अंडरवॉटर अकॉस्टिक कम्युनिकेशन सिस्टम व लो-फ्रीक्वेंसी वैरिएबल डेप्थ सोनार युक्त है। इस युद्धपोत में लाइटवेट टॉरपीडो, रॉकेट, एंटी-टॉरपीडो डिकॉय और माइन बिछाने के सिस्टम जैसे अत्याधुनिक हथियार लगे हैं। दरअसल, INS अर्नाला का नौसेना में शामिल होना न केवल भारत की तटीय रक्षा को मजबूत करता है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि भी है।
यह युद्धपोत 77 मीटर लंबा और 1490 टन वजनी है, जो डीजल इंजन और वॉटरजेट संयोजन से संचालित होता है, इसे भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा वॉटरजेट-चालित पोत बनाता है। दरअसल, इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने भारतीय नौसेना के “खरीदार नौसेना” से “निर्माता नौसेना” बनने की ऐतिहासिक यात्रा को रेखांकित किया।
INS अर्नाला का मुख्य उद्देश्य तटीय और उथले समुद्री क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों की पहचान, ट्रैकिंग और नष्ट करना है। यह 100 से 150 नॉटिकल मील की दूरी से पनडुब्बियों का पता लगाने और 30-40 मीटर की गहराई में संचालन करने में सक्षम है। इन सभी प्रणालियों को कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम में एकीकृत किया गया है, जो इसकी परिचालन क्षमता को और सशक्त बनाता है।
इस युद्धपोत में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है। 55 से अधिक MSMEs ने भी इस परियोजना में योगदान दिया, जो भारत के घरेलू रक्षा उद्योग की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
बता दें कि INS अर्नाला का नाम महाराष्ट्र के वसई तट पर स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले से प्रेरित है, जो 1737 में मराठाओं द्वारा निर्मित था। इसका क्रेस्ट, जिसमें नीले रंग की पृष्ठभूमि पर एक स्टाइलिश ऑगर शेल है, और आदर्श वाक्य “अर्णवे शौर्यम्” (महासागर में वीरता) इसकी सतर्कता और साहस को दर्शाता है।
Published on:
18 Jun 2025 08:04 pm