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जज ने छोड़ा मुकदमा, कहा- सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा नाम एक पार्टी के पक्ष में फैसला देने के लिए बना रहा था दबाव

एनसीएलएटी के जज जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने हैदराबाद की रियल एस्टेट कंपनी केएलएसआर इंफ्राटेक के एक मामले से खुद को अलग कर लिया है। उनका आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के एक सम्मानित जज ने उन पर एक पक्ष के हक़ में फैसला सुनाने का दबाव डाला। यह मामला कंपनी के दिवालियेपन से जुड़ा है, जिसमें लेनदार एएस मेट कॉर्प ने केएलएसआर पर बकाया राशि का दावा किया है। जज के इस फैसले ने न्यायपालिका में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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भारत

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Mukul Kumar

Aug 27, 2025

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फोटो- IANS)

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के एक न्यायिक सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने खुद को एक मुकदमे से अलग कर लिया है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक ने उनपर पार्टी के पक्ष में फैसला सुनाने का दबाव बनाया था।

जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने 13 अगस्त मुकदमे से अलग होने की जानकारी दी थी। अपने आदेश में उन्होंने कहा कि हममें से किसी सदस्य से सुप्रीम कोर्ट के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक ने संपर्क, उन्होंने एक पार्टी के पक्ष में फैसला सुनाने की बात कही है। ऐसा देखकर मुझे काफी दुख हो रहा है, इस वजह से मैं इस केस की सुनवाई से खुद को अलग कर रहा हूं।

क्या है मामला?

मामला हैदराबाद स्थित रियल एस्टेट कंपनी केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड से जुड़ा है। केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड ने दिवालियेपन की कार्यवाही से जुड़े मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण की हैदराबाद पीठ के फैसले को चुनौती दी थी।

इस मामले में 18 जून को आदेश सुरक्षित रखा गया था। इसके साथ, पक्षों को अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था।

दरअसल, एक लेनदार, एएस मेट कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड ने आरोप लगाया था कि केएलएसआर इंफ्राटेक पर उसकी 2,88,79,417 की राशि बकाया है। जो आपसी सहमति से तय ब्याज सहित है। अब तक इन पैसों का भुगतान नहीं किया गया है।

इसपर, हैदराबाद की पीठ ने एएस मेट कॉर्प के पक्ष में फैसला सुनाते हुए केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवालियेपन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने की अनुमति दी थी। जिसे आगे चुनौती दी गई।

केएलएसआर ने क्या दिया तर्क?

दिवाला और दिवालियापन संहिता के अनुसार, लेनदार भुगतान में चूक होने पर दिवालियेपन की कार्यवाही शुरू कर सकता है, बशर्ते कि लोन देने के मामले में कोई ना हो। इसपर केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड (देनदार) ने तर्क दिया है कि पिछले पांच सालों में उसने लगभग 300 करोड़ का कारोबार किया है, ऐसे में उसे दिवालिया घोषित करना उचित नहीं है।

केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड (देनदार) ने यह भी दावा किया है कि एएस मेट कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों पर 30 जून, 2022 को कदाचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वे काफी समय से फरार हैं। आपराधिक कार्रवाई की वजह से दोनों पक्षों के बीच विवाद है, ऐसे में दिवालियापन की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड के आरोपों पर एएस मेट कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि उनके निदेशकों को तेलंगाना हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है और वे फरार नहीं हैं।