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नए चीफ जस्टिस ने हाई कोर्ट के आदेश को कर दिया रद्द, तलाक के मामले में सुनाया अहम फैसला

उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दी गई तलाक की मंजूरी को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है। CJI ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर अहम निर्णय सुनाया है।

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भारत

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Mukul Kumar

Nov 26, 2025

Supreme Court Chief Justice Surya Kant first hearing shocks lawyer in Delhi

भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत। (फोटो- ANI)

भारत के नए चीफ जस्टिस सूर्यकांत अपना पद संभालने के बाद से काफी एक्टिव हैं। वह अब तक कई महत्वपूर्ण मामलों में अपना फैसला सुना चुके हैं। इस बीच, उन्होंने हाई कोर्ट के एक ऑर्डर को भी रद्द कर दिया है।

दरअसल, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक तलाक की अर्जी को मंजूरी दी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इस पर नए चीफ जस्टिस ने अहम फैसला सुनाया।

हाई कोर्ट को फिर से मामले पर विचार करने को कहा

चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने तलाक की अर्जी को मंजूरी देने वाले हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया गया। साथ ही, हाई कोर्ट की बेंच को मामले पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस के बेंच ने कहा- हम यह कहना चाहेंगे कि हाल के दिनों में कोर्ट अक्सर यह देखते हैं कि दोनों पार्टियां अलग-अलग रह रही हैं, इसलिए शादी को पूरी तरह से टूटा हुआ मान लेना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पहले पता लगाएं अलग रहने को कौन मजबूर?

शीर्ष अदालत ने कहा- इस नतीजे पर पहुंचने से पहले फैमिली कोर्ट या हाई कोर्ट के लिए यह तय करना जरूरी है कि दोनों में से कौन शादी के बंधन को तोड़ने और दूसरे को अलग रहने के लिए मजबूर करने के लिए जिम्मेदार है।

बेंच ने आगे कहा- जब तक जानबूझकर छोड़ने या दूसरे जीवनसाथी के साथ रहने और उसकी देखभाल करने से इनकार करने का कोई पक्का सबूत न हो, तब तक यह पता चलना कि शादी पूरी तरह से टूट गई है, इसका बहुत बुरा असर पड़ सकता है, खासकर बच्चों पर।

ऑर्डर देने से पहले इन बातों का रखना होता है ध्यान

चीफ जस्टिस के बेंच ने कहा- ऑर्डर जारी करने से पहले कोर्ट पर रिकॉर्ड में मौजूद सभी सबूतों का गहराई से एनालिसिस करने, पार्टियों के सामाजिक हालात और बैकग्राउंड के साथ कई दूसरे फैक्टर्स पर विचार करने की भारी जिम्मेदारी आ जाती है। हमें नहीं लगता कि इस मामले में हाई कोर्ट ने ऐसी कोई कोशिश की है।

क्या है मामला?

गौरतलब है कि एक महिला ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उसके पति की 'क्रूरता' के आधार पर तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी गई थी। उसके द्वारा झेली गई कथित मानसिक क्रूरता की अर्जी को स्वीकार कर लिया गया था।

दोनों की शादी 2009 में हुई थी और उनका एक बेटा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी को ससुराल से निकाल दिया गया और अलग रहने के लिए मजबूर किया गया। साथ ही, इस बात पर भी कोई विवाद नहीं है कि बच्चा शुरू से ही महिला की कस्टडी में था।