
त्रिपुरा छात्र हत्याकांड (ANI)
Tripura Student Killed: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने उत्तराखंड के देहरादून में त्रिपुरा के 24 वर्षीय छात्र अंजेल चाकमा की कथित नस्लीय हमले में हुई मौत का संज्ञान लेते हुए आयोग ने देहरादून के जिलाधिकारी (DM) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को नोटिस जारी कर मामले की जांच करने और सात दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
आयोग ने मामले की कार्यवाही की प्रति उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को भेजने के साथ ही पूरे राज्य में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश दिए हैं। आयोग ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत यह कार्रवाई की है। NHRC ने कहा कि शिकायत में लगे आरोप प्रथम दृष्टया पीड़ित के जीवन, गरिमा और समानता के अधिकार का गंभीर उल्लंघन प्रतीत होते हैं। यह घटना उत्तर-पूर्वी लोगों के खिलाफ गहरी जड़ें जमाए नस्लीय भेदभाव को उजागर करती है।
अंजेल चाकमा देहरादून के एक निजी विश्वविद्यालय में अंतिम वर्ष के MBA छात्र थे। 9 दिसंबर को सेलाकुई क्षेत्र में उनके छोटे भाई माइकल चाकमा के साथ कुछ युवकों ने नस्लीय टिप्पणियां कीं। हमलावरों ने उन्हें "चीनी", "चिंकी" और "मोमो" जैसे अपमानजनक शब्द कहे। जब अंजेल ने विरोध किया और कहा कि "हम भी भारतीय हैं, चीनी नहीं", तो हमलावरों ने चाकू और कुंद वस्तुओं से उन पर हमला कर दिया।
अंजेल को गंभीर चोटें आईं, जिसमें सिर, पेट और रीढ़ की हड्डी पर गहरे घाव शामिल थे। वे 17 दिनों तक अस्पताल में जीवन-मृत्यु से जूझते रहे और अंतत: 26 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई। उनके पिता तरुण प्रसाद चाकमा, जो BSF जवान हैं और वर्तमान में मणिपुर में तैनात हैं, ने आरोप लगाया कि यह पूरी तरह नस्लीय प्रेरित हमला था। पुलिस ने छह आरोपियों में से पांच को गिरफ्तार किया है, जबकि एक फरार है।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीड़ित के पिता से फोन पर बात कर आरोपियों को कड़ी सजा का आश्वासन दिया है और परिवार को आर्थिक सहायता की मंजूरी दी है। विभिन्न राजनीतिक दलों और उत्तर-पूर्वी नेताओं ने नफरत अपराधों को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून की मांग की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे "भयानक नफरत अपराध" करार दिया और सत्तारूढ़ भाजपा पर नफरत को सामान्य बनाने का आरोप लगाया।
त्रिपुरा, अगरतला और देहरादून में कैंडल मार्च सहित बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं। उत्तर-पूर्वी छात्र संगठनों ने न्याय की मांग की है और इस घटना को मुख्यधारा में उत्तर-पूर्वी भारतीयों के साथ भेदभाव की पुरानी समस्या का प्रतीक बताया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने भी मामले का संज्ञान लिया है और उत्तराखंड अधिकारियों से तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी है।
Updated on:
30 Dec 2025 12:33 pm
Published on:
30 Dec 2025 12:05 pm
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