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महाराष्ट्र में राज्यपाल, CM और जज के कार खरीदने की कीमत पर कोई सीमा नहीं, क्या कहती है नई वाहन पॉलिसी?

महाराष्ट्र की नई वाहन नीति में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और जजों के लिए कार खरीद पर कोई सीमा नहीं, जबकि मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के लिए सीमा तय की गई है। कांग्रेस ने इस नीति की कड़ी आलोचना करते हुए इसे सरकारी धन की बर्बादी बताया है और राज्य के कर्ज और किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया है।

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मुंबई

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Mukul Kumar

Sep 18, 2025

Devendra Fadnavis Eknath Shinde

सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे (Photo: IANS)

महाराष्ट्र में सीएम देवेंद्र फडणवीस की नेतृत्व वाली सरकार ने नई वाहन पॉलिसी को मंजूरी दी है। जिसके तहत, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, हाई कोर्ट के जज और लोकायुक्त आधिकारिक उपयोग के लिए अपने पसंद की कोई भी खरीद सकते हैं। उसके लिए कीमत की कोई भी सीमा नहीं रखी गई है।

वहीं, नई नीति में मंत्रियों और सचिवों के लिए गाड़ी खरीदने की कीमत पर एक सीमा निर्धारित कर दी गई है। सरकार की ओर से जारी नई अधिसूचना के मुताबिक, कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव और सचिव आधिकारिक इस्तेमाल के लिए केवल 30 लाख रुपये तक की गाड़ी कर सकते हैं।

इसके अलावा, महाधिवक्ता, महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और कुछ अन्य अधिकारियों के लिए खर्च की सीमा 25 लाख रुपये तय की गई है। वहीं, जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को 15 लाख रुपये तक की गाड़ी खरीदने की अनुमति दी गई है।

इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की सलाह

दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को भी प्रोमोट कर रही है। प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने सभी को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की सलाह दी है।

उधर, कांग्रेस ने महाराष्ट्र सरकार की नई वाहन नीति का खंडन किया है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आलोचना करते हुए कहा कि सभी जानते है कि राज्य पर 9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। वहीं, इन पैसों का ब्याज चुकाने तक के लिए कर्ज लिया जा रहा है। इसके बावजूद, राज्य सरकार सरकारी धन की बर्बादी कर रही है।

कांग्रेस ने नई वाहन नीति के खिलाफ खोला मोर्चा

कांग्रेस नेता ने कहा कि मूसलाधार बारिश ने कुछ ही दिनों पहले 40 लाख एकड़ से ज्यादा खड़ी फसलों को बर्बाद कर दिया था, जिनकी कटाई होने वाली थी। इससे लगभग 2,000 किसान प्रभावित हुए, लेकिन किसी को इस बात की चिंता नहीं है।

सपकाल ने आगे कहा कि राज्य सरकार धन की कमी का हवाला देकर कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर रही है, लेकिन अपनी पसंद के वाहनों पर बेतहाशा पैसा खर्च कर रही है।

मुख्यमंत्री और उनके दो उप-मुख्यमंत्री पहले से ही करोड़ों रुपये की गाड़ियां इस्तेमाल कर रहे हैं, तो क्या उन्हें इस समय विलासिता पर और ज्यादा खर्च करना चाहिए? जनता सब देख रही है और सही समय पर इसका करारा जवाब देगी।