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‘अब मिजोरम दूर नहीं’ 78 साल बाद रेल पहुंची आइजोल, पीएम 13 सितंबर को करेंगे उद्घाटन

देश का पूर्वोत्तर लगातार रेल कनेक्टिविटी से जुड़ रहा है। आजादी के 78 साल बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल देश से रेल नेटवर्क के जरिए जुड़ने वाला है। 13 सितंबर को पीएम इसका उद्घाटन करेंगे। पढ़ें देवेंद्र सिंह की ये रिपोर्ट...

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Rail connectivity in Mizoram

मिजोरम में रेल कनेक्टिविटी (फोटो-IANS)

मिजोरम के लोगों का दशकों पुराना सपना अब साकार होने जा रहा है। कारण कि आजादी के 78 साल बाद पहली बार राज्य की राजधानी आइजोल को देश के रेल नेटवर्क से सीधा जोड़ने जा रहा है। बैराबी से सैरांग तक बिछी 51.38 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन पूरी तरह तैयार हो चुकी है।

13 सितंबर को पीएम करेंगे उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को इस परियोजना का उद्घाटन करेंगे और पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। खासबात है कि लगभग 8071 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह रेल लाइन न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगी बल्कि मिजोरम के आर्थिक और पर्यटन विकास को भी नई दिशा देगी। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह लाइन राज्य के लिए लाइफलाइन साबित होगी।

खास बात यह है कि इस रेल लाइन के शुरू होने से आइजोल से सिलचर तक का सफर सड़क मार्ग से 7 घंटे के बजाय ट्रेन से सिर्फ 3 घंटे में तय होगा। दावा किया जा रहा है कि, यह रेल लाइन न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगी बल्कि मिजोरम के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगी।

कुतुबमीनार से भी ऊंचा ब्रिज इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना

इस बैराबी-सैरांग रेल लाइन को देश की सबसे कठिन परियोजनाओं में गिना जा रहा है। इस ट्रैक पर 48 सुरंगें बनाई गई हैं, जिनकी कुल लंबाई 12.8 किलोमीटर है। इसके अलावा बड़े और छोटे 142 ब्रिज तैयार किए गए हैं। इनमें से सबसे ऊंचा ब्रिज 104 मीटर का है, जो कुतुबमीनार से भी ऊंचा है और भारतीय रेलवे का दूसरा सबसे ऊंचा ब्रिज माना जा रहा है। इस लाइन पर पांच रोड ओवरब्रिज और छह अंडरपास भी बनाए गए हैं। पूरी परियोजना को आधुनिक तकनीक से डिजाइन किया गया है, जिससे ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकेगी।

खुलेगा आर्थिक विकास का नया रास्ता, मिलेगी मजबूती

रेलवे से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह रेल लाइन मिजोरम के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएगी। इसकी वजह से राज्य की जीडीपी में हर साल 2-3 फीसदी की बढ़ोतरी संभव है। वर्तमान में 25 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था वाले इस राज्य को इस परियोजना से करीब 500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सालाना आमदनी होगी। बताया जा रहा है कि इस नई लाइन से कोलकाता, अगरतला और दिल्ली तक सीधी ट्रेनों का रास्ता खुल जाएगा, जिससे व्यापार, पर्यटन और रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

26 साल में पूरा हुआ सपना, चुनौतियां

-रेलवे अधिकारियों के अनुसार इस परियोजना का काम 1999 में शुरू हुआ था। लेकिन मिजोरम की दुर्गम भौगोलिक स्थिति, घने जंगलों और भारी बारिश के कारण निर्माण बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। कई बार सर्वे रिपोर्ट बदली गई। इस पर सालभर में केवल 4-5 महीने ही काम हो पाता था। भारी मशीनों को छोटे हिस्सों में बांटकर पहाड़ियों तक पहुंचाना पड़ा और निर्माण सामग्री असम व पश्चिम बंगाल से लाई गई। वर्ष 2008-09 में इसे नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा मिला और वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने इसका शिलान्यास किया। इसके बाद तेजी आई और अब यह परियोजना पूरी हो गई है।

परियोजना की खासबात-लागत: 8071 करोड़ रुपए

-लंबाई: 51.38 किमी
-गति: 100 किमी/घंटा
-सुरंगें: 48 (12.8 किमी)
-ब्रिज: 142 (55 बड़े, 87 छोटे)
-सबसे ऊंचा ब्रिज: 104 मीटर
-स्टेशन: हार्तुकी, कौनपुई, मुलखांग, सैरांग