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‘केवल 871 ग्राम गांजा जब्त हुआ’, दिल्ली हाई कोर्ट ने तस्करी के आरोप में गिरफ्तार शख्स को जमानत देते हुए क्या कहा?

दिल्ली हाई कोर्ट ने 871 ग्राम गांजे के मामले में गिरफ्तार एक शख्स को जमानत दे दी। कोर्ट ने माना कि इतनी कम मात्रा गांजे का रखना जमानती अपराध है और आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं। अभियोजन पक्ष के मोबाइल लोकेशन जैसे सबूतों को कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने 10,000 रुपये के निजी मुचलके पर आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया।

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भारत

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Mukul Kumar

Aug 31, 2025

विशेष न्यायाधीश ने सुनाया फैसला (Photo source- Patrika)

विशेष न्यायाधीश ने सुनाया फैसला (Photo source- Patrika)

दिल्ली उच्च न्यायालय ने तस्करी के आरोप में गिरफ्तार एक शख्स को जमानत दे दी है। उसे अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट के सिलसिले में क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था।

न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की एकल पीठ ने बेल देते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ एकमात्र सबूत 871 ग्राम गांजा की बरामदगी है, जो एक छोटी मात्रा है और इसे रखना जमानती अपराध है।

पिछले साल जानवरी का है मामला

बता दें कि यह मामला पिछले साल जनवरी का है, जब अपराध शाखा ने विदेश डाकघर (एफपीओ) से 5.137 किलोग्राम गांजा से भरे चार पार्सल जब्त किए थे। आरोप पत्र में कहा गया है कि केवल एक 'संभावना' है कि मलिक पार्सल पर दिए गए मोबाइल नंबरों के माध्यम से उनसे जुड़ा हो।

शुक्रवार को दिए गए फैसले में, न्यायमूर्ति कठपालिया ने कहा कि विचाराधीन सिम कार्ड किसी अन्य व्यक्ति को जारी किया गया था। इसके साथ प्रतिबंधित सामान के पार्सल पकड़े जाने के हफ्तों बाद आरोपी के फोन में सक्रिय किया गया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए साक्ष्यों को भी खारिज कर दिया। जिसमें यह दावा किया गया था कि जहां अवैध सामान की डिलीवरी होनी थी, वहां आरोपी का लोकेशन भी पाया गया था।

जमानत देते हुए जज ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति कठपालिया ने कहा कि सिर्फ उसके मोबाइल फोन लोकेशन के आधार पर पता चला कि वह प्रतिबंधित सामान वाले इलाके में मौजूद था, इसलिए कथित लेन-देन से उसका कोई संबंध नहीं माना जा सकता। उन्होंने आगे कहा कि एक मोबाइल फोन टावर उस इलाके में मौजूद सैकड़ों लोगों को कवर करता है।

वहीं, आरोपी को जमानत देते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत की संतुष्टि के लिए 10,000 रुपये के निजी मुचलके और उतनी ही राशि की एक जमानत पर उसे नियमित बेल पर रिहा करने का निर्देश दिया। इस मामले में एक सह-आरोपी, मयंक नैयर को इस महीने की शुरुआत में जमानत दी गई थी।