
Patrika Exclusive: राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बुरे अनुभव के बाद अब कर्नाटक में भी कांग्रेस सरकार के दो दिग्गजों में ढाई-ढाई साल फार्मुला पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है। अब तक पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री एन. सिद्धरामैया ने नेतृत्व का फैसला आलाकमान पर छोड़ने की बात कह कर नई बहस छेड़ दी है। सवाल यह कि क्या वाकई चुनाव परिणाम के बाद सरकार बनाते समय सीएम पद के लिए सिद्धरामैया और प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच ढाई-ढाई साल का फार्मुला तय किया किया गया था? उस समय काफी मशक्कत के बाद शिवकुमार ने आलाकमान के कहने (या किसी वादे?) पर सिद्धरामैया के लिए सीएम की कुर्सी छोड़ी थी। सीएम सिद्वरामैया और डीके शिवकुमार सीधे तौर पर कुछ नहीं बाेल रहे लेकिन उनके समर्थक विधायकों ने दबाव बना रखा है। शिवकुमार की ओर से राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक अनुष्ठान करवाए जाने की भी चर्चाएं हैं।
दरअसल लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता से अलग रहने के कारण कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में क्षेत्रीय दिग्गजों (सूबेदारों) की महत्वाकांक्षा आलाकमान पर भारी पड़ती है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राज्यों में दो-दो दिग्गज हमेशा रहे हैं और सीएम एक ही बनता है। दिल्ली में सरकार नहीं होने से क्षेत्रीय सूबेदारों को केंद्र में पद नहीं दिया जा सकता, लिहाजा दूसरा दिग्गज हमेशा सीएम पद पर नजर रखता है। मध्यप्रदेश में इससे सीधे नुकसान हुआ तो राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सरकार तो बची लेकिन चुनाव हार गए। यही मुसीबत अब कर्नाटक में है।
2018 में सत्ता में आई कांग्रेस में कई दिनों की रस्साकशी के बाद अशोक गहलोत सीएमऔर सचिन पायलट डिप्टी सीएम बने थे। दोनों के बीच मतभेद के चलते 2020 में सरकार पर संकट भी आया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस संकट दूर किया, सरकार तो बच गई लेकिन 2023 में यहां कांग्रेस चुनाव हार गई।
छत्तीसगढ़ में 2018 में सरकार बनने पर भूपेश बघेल को सीएम बनाया गया। वहीं टीएस सिंहदेव मंत्री बने। सिंहदेव बार-बार दिल्ली आते रहे और आलाकमान से ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद के फॉर्मूले के अमल में लाने की मांग करते रहे लेकिन बाद में डिप्टी सीएम बने। इस मतभेद का भी 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार में अहम योगदान रहा।
मध्यप्रदेश में लगातार तीन विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2018 में कांग्रेस सत्ता में लौटी थी। सीएम की कुर्सी को लेकर कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में जंग के चलते 2020 में सरकार गिर गई। सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया। कांग्रेस का बुरा दौर बरकरार रहा।
हिमाचल प्रदेश में साधारण बहुमत से सरकार में आई। यहां भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह व उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह से खटपट रही। पिछले साल कुछ विधायकों ने इस्तीफा देकर सरकार को फंसा दिया था। हालांकि कांग्रेस आलाकमान के सक्रियता और उपचुनाव में सफलता से सरकार बच गई।
Updated on:
25 Jan 2025 11:23 am
Published on:
25 Jan 2025 07:58 am
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