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Patrika Interview: आयुर्वेद को मिलेगी वैश्विक पहचान, 25 देशों से हुए समझौते- मंत्री प्रतापराव जाधव

केंद्रीय आयुष, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने पत्रिका संवाददाता डॉ. मीना कुमारी से विशेष बातचीत में आयुष मंत्रालय की योजनाओं, चुनौतियों और उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की।

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भारत

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Ashib Khan

Sep 06, 2025

केंद्रीय आयुष, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने पत्रिका से की बातचीत (Photo-X)

देश में आयुर्वेद को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए रिसर्च, संस्थागत विस्तार, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और डिजिटल नवाचार समेत अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। चाहे बात हो हार्वर्ड जैसे संस्थानों से समझौते की योजना की, या देशभर में एम्स जैसे आयुर्वेद संस्थानों की स्थापना की, केंद्रीय आयुष, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव के अनुसार, आयुष अब मुख्यधारा की चिकित्सा व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन रहा है। आयुष मंत्रालय की योजनाओं, चुनौतियों और उपलब्धियों पर विस्तार को लेकर प्रस्तुत है उनसे बातचीत के कुछ अंश -

सवाल: आयुष दवाओं के साथ सबसे बड़ी समस्या इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता न मिलना है, इस दिशा में मंत्रालय क्या कर रहा है?

जवाब: ऐसा नहीं है। आयुष में भी बहुत सारी दवाइयों पर बड़े पैमाने पर रिसर्च होती है। आयुष मंत्रालय की एक रिसर्च काउंसिल है। उसके माध्यम से बहुत सारे शोध किए जाते हैं। सीसीआरएस है, यूनानी के लिए सीआरयूएम है, होम्योपैथी के लिए सीसीआरएएस है, जिसके देश में लगभग 50 जगहों पर रिसर्च सेंटर हैं। देश के कई बड़े कॉलेज और इंस्टीट्यूट में भी रिसर्च सेंटर खुले हैं।

सवाल: आयुर्वेदिक इलाज के लिए एम्स जैसे संस्थान देशभर में खोलने की दिशा में कितनी प्रगति हुई है?

जवाब: एम्स की तरह ही दिल्ली के सरिता विहार में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा (एआइआइए) खोला गया है और इसका एक सैटेलाइट सेंटर गोवा में भी है। जयपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा संचालित है। और 10 एआइआइए और 18 एनआइए जैसे संस्थानों की योजना बनाई जा रही है।

सवाल: क्या हार्वर्ड और ऐसे किसी प्रतिष्ठित विवि के साथ कोई समझौता किया गया है?

जवाब: हमारा प्रयास है कि आयुर्वेद को सभी देशों में मान्यता मिले। 25 देशों के साथ आयुर्वेद को लेकर एमओयू हुए हैं। बहुत सारे देश अभी आयुर्वेद चेयर हैं। हमारे आयुर्वेद के जो बड़े संस्थान हैं उनके भी 52 देशों के अलग-अलग संस्थानों के साथ रिसर्च के लिए एमओयू हुए हैं। हार्वर्ड समेत दुनिया के अन्य संस्थानों के साथ समझौतों के लिए भी मंत्रालय काम कर रहा है। सवाल: अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में आयुर्वेद से संबंधित रिसर्च प्रकाशित हो सकें, इसके लिए क्या किया जा रहा है? जवाब: सीसीआरएएस, सीसीआरएच, एआइआइए, एनआइए के शोध पत्र वैश्विक ख्याति प्राप्त पत्रिकाओं में प्रकाशित किए जा रहे हैं। कई शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए हैं। आयुष मंत्रालय की सभी अनुसंधान परिषदों में अनुसंधान गतिविधियां संचालित की जाती हैं। मंत्रालय अनुसंधान और नवाचार योजना के माध्यम से भी इन्हें बढ़ावा देता है।

सवाल: जब भी आयुष दवाओं की बात आती है तो सुनने में आता है कि दवाएं बहुत महंगी हैं, हकीकत क्या है?

जवाब: आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में कौन गलतफहमियां फैलाता है यह मुझे नहीं मालूम। मैं कहूंगा कि सबसे सस्ता इलाज यदि कहीं होता है तो वह आयुर्वेद है। हमारे देश के ग्रामीण और जनजातीय इलाकों के लोग ज्यादातर आयुर्वेदिक दवाएं ही लेते हैं। सवाल: आयुर्वेदिक डॉक्टर को एलोपैथी की तरह सुविधाएं और वेतन कब मिलेंगे? जवाब: कई राज्यों में वेतन और भत्ते केंद्र के समान हैं। कुछ राज्य नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

सवाल: क्या आयुष मंत्रालय के पास ऐसी भी योजनाएं हैं कि लोग बीमार ही न पड़ें?

जवाब: बिल्कुल, आयुष मंत्रालय का सबसे ज्यादा ध्यान तो इसी बात पर है कि लोग बीमार ही न पड़ें। पूरा देश स्वस्थ रहे। हमारे प्रधानमंत्री बार-बार आयुष मंत्रालय का काम आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। कोई बीमार ही न हो, इसके लिए हमें योग करना चाहिए। दुनिया के 170 देश आज योग को अपना चुके हैं।

सवाल: कोई ऐसी योजना, जिसे आपके योगदान के रूप में सराहा गया हो?

जवाब: देखिए, काम तो करते जा रहे हैं। अभी बहुत सारे काम किए जाने हैं। मंत्रालय नया है, बहुत सारी चुनौतियां हमारे सामने हैं। पिछले साल मंत्री बनने के दो माह के भीतर हमने एक बड़ी स्कीम लांच की थी, वह थी देश का प्रकृति परीक्षण। इस प्रकृति परीक्षण ने लोगों को अपनी प्रकृति के बारे में और होने वाले बीमारियों के कारण को जानने में मदद की।