
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका (पीआइएल) को खारिज कर दिया है, जिसमें डॉक्टरों को पर्ची में लिखी दवाओं के साइड इफेक्ट बारे में मरीज को अनिवार्य रूप से जानकारी देने के निर्देश की मांग की गई थी।
दवाओं के साइड इफेक्ट से मरीज को काफी नुकसान होता है
याचिकाकर्ता का कहना था कि दवाओं के साइड इफेक्ट से मरीज को काफी नुकसान होता है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि मरीज को दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में सूचित करने के बारे में पहले से नियम-कानून की व्यवस्था मौजूद है। इसके तहत दवा निर्माता को दवा के साथ साइड इफेक्ट की जानकारी और पंजीकृत फार्मासिस्ट को मरीज को इसके बारे में बताना अनिवार्य है।
विधायिका ने अपने विवेक से व्यवस्था बना रखी है
अदालत ने कहा कि विधायिका ने अपने विवेक से व्यवस्था बना रखी है तो याचिका पर निर्देश न्यायिक कानून जैसा होगा। और फार्मासिस्ट पर शुल्क लगाने का फैसला किया है, इसलिए जनहित याचिका में की गई प्रार्थना के अनुसार निर्देश जारी करने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि यह न्यायिक कानून के समान होगा।
विदाई के समय जज बोले - वापस आरएसएस में जाऊंगा
कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस चित्त रंजन दास को सोमवार को कोर्ट की फुल बेंच में विदाई दी गई। ओडिशा में उच्च न्यायिक सेवा से 2009 में हाईकोर्ट जज बने जस्टिस दास ने विदाई भाषण में कहा कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। 37 साल उससे अलग रहने के बाद संघ चाहेगा तो वे फिर से आरएसएस में जाएंगे।
Published on:
21 May 2024 02:30 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
