
PM Kisan 20th Installment: जब काशी से धन जाता है तो वह प्रसाद बन जाता है फोटो सोर्स : Social Media
PM Kisan Fraud 2025: भारत सरकार की फ्लैगशिप योजना पीएम किसान सम्मान निधि (PM Kisan Fraud Cases) के अन्तर्गत बड़े पैमाने पर डुप्लीकेट लाभार्थियों के मामले सामने आए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन ट्रैकिंग और सत्यापन से खुलासा हुआ कि 31.01 लाख संदिग्ध लाभार्थी लंबे समय से फर्जी तरीके से योजना का लाभ उठाते रहे। इनमें ज्यादातर पति-पत्नी एक ही परिवार से दोहरी मांग कर रहे थे, जिससे करोड़ों रुपये का गबन हुआ। कृषि मंत्रालय ने सख्ती बरतते हुए 19.02 लाख मामलों का सत्यापन किया, जिसमें 94% (17.87 लाख) वैध लेकिन अयोग्य पाए गए। ज्यादातर मामले भूमि रिकॉर्ड की त्रुटियों या जानबूझ कर धोखाधड़ी से जुड़े हैं। लंबे समय से चल रही धांधली ने वास्तविक किसानों (Fake Farmers 2025) का हक छीना। केंद्र ने पहले ही फर्जी तरीके से योजना से पैसा ले चुके लाभार्थियों (E-KYC PM Kisan Deadline) से 416 करोड़ रुपये वसूल कर लिए हैं। राज्यों में भी वसूली की जाएगी। मंत्रालय ने राज्यों को 21वीं किस्त (दिसंबर 2025) से पहले सभी लाभार्थियों की सूची सत्यापन व ई-केवाइसी (Farmer ID Mandatory India) के जरिए पूर्ण सफाई करने का आदेश दिया है। सभी राज्यों को अक्टूबर में सभी लाभार्थियों का सत्यापन व ई-केवाइसी का कार्य पूरा करना है।
पीएम-किसान योजना के तहत छोटे-सीमांत किसानों को सालाना 6,000 रुपये (तीन किस्तो में 2,000-2,000 रुपये) की सहायता मिलती है। देश के 9.7 करोड़ किसानों को अब तक 20 वीं किस्त (अगस्त 2025) में 20,500 करोड़ रुपये मिल चुके हैं।
नोट: यह चार्ट राज्यवार संदिग्ध मामलों को स्पष्ट रूप से दिखाता है। उत्तर प्रदेश में 3.5 लाख मामले सबसे ज्यादा हैं, जो योजना में पारदर्शिता की जरूरत बताते हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में पिछले दिनों कहा था कि योजना का लाभ केवल वास्तविक किसानों को मिलेगा। धांधली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कृषि मंत्रालय की ओर से 1 जनवरी 2025 से नये पंजीकरण के लिए फार्मर आईडी जरूरी कर दी गई। केंद्र सरकार ने एसओपी जारी कर राज्यों को नोटिस भेजने, फंड वसूल करने और संदिग्ध नाम पोर्टल से हटाने के निर्देश दिए हैं। राज्यों में सभी लाभार्थियों की सूची सत्यापन करने के साथ ई-केवाइसी अपडेट करवाई जा रही है।
केन्द्र सरकार के निर्देश की पालना में उत्तरप्रदेश में 50 हजार से अधिक लाभार्थियों को सूची से हटाते हुए वसूली की कार्रवाई शुरू की गई है। मध्यप्रदेश में भी मई माह से क्रैकडाउन चल रहा है। एक ही परिवार से कई दावे सामने आने के बाद ऐसे मामलों में वसूली कार्रवाई शुरू कर दी गई है। यहां 20 किस्तों से पहले लाखों रुपए वसूल किए जा चुके हैं। महाराष्ट्र में विदर्भ-मराठवाड़ा में ज्यादा मामले सामने आए हैं। ई-केवाईसी से 1 लाख से अधिक मामले सुलझाए गए हैं। कर्नाटक में शहरी क्षेत्रों के लाभार्थियों का फर्जी पंजीकरण भी सामने आया हैं। पंजाब के मामलों में पराली जलाने और रेकार्ड में भारी त्रुटियां सामने आई है।
बहरहाल राजस्थान के 1.2 करोड़ पंजीकृत किसानों में से 2.5 लाख संदिग्ध केस सामने आए हैं। इनमें जोधपुर (45,000), बीकानेर (38,000) और जैसलमेर (32,000) में शिकायतें मिली हैं। कृषि विभाग ने पूरे राज्य में विशेष टीमें गठित कर लाभार्थियों का सत्यापन शुरू कर दिया है। गलत लाभार्थियों से वसूली करने के अलावा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी।
Published on:
17 Oct 2025 07:02 pm
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