
jallianwala bagh renovated memorial park
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) ने शनिवार को पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित परिसर ( jallianwala bagh renovated memorial park ) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्र को समर्पित किया। पीएम मोदी ( pm modi ) ने स्मारक परिसर में तैयार की गई संग्रहालय दीर्घाओं का भी उद्घाटन किया। थियेटर में 80 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
जलियांवाला बाग परिसर अमृतसर ( jallianwala bagh memorial Amritsar ) में शामिल दीर्घाएं उस समय पंजाब में घटित विभिन्न घटनाओं के विशेष ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। आज श्रव्य-दृश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से इसकी प्रस्तुति दी जाएगी। परिसर के अंदर मैपिंग और 3डी चित्रण के साथ-साथ कला एवं मूर्तिकला भी शामिल हैं।
जलियांवाला बाग परिसर हुए हैं ये बदलाव
ऐतिहासिक दृष्टि से अहम जलियांवाला बाग परिसर में लंबे समय से बेकार पड़ी और कम उपयोग वाली इमारतों का नए पुनर्निर्माण किया गया है। 13 अप्रैल, 1919 को घटित विभिन्न घटनाओं को दर्शाने के लिए एक साउंड एंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है। पंजाब की स्थानीय स्थापत्य शैली के मुताबिक धरोहरों का पुनर्निर्माण कराया गया है। शहीदी कुएं की मरम्मत और बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ज्वाला स्मारक की मरम्मत करने के साथ-साथ इसका पुनर्निर्माण किया गया है। यहां स्थित तालाब को एक लिली तालाब के रूप में फिर से विकसित किया गया है।
नई सुविधाएं
लोगों की आवाजाही के लिए नव विकसित मार्ग, महत्व पूर्ण स्थानों पर प्रकाश की व्यवस्था, देशी वृक्षारोपण के साथ बेहतर भूदृश्य एवं चट्टानों युक्त निर्माण कार्य कराए गए हैं। पूरे बगीचे में ऑडियो नोड्स लगाना शामिल हैं। इसके अलावा मोक्ष स्थल, अमर ज्योत और ध्वज मस्तूल को समाहित करने के लिए अनेक नए क्षेत्रों का विकास किया गया है। जलियांवाला बाग का डिजिटल डाक्यूमेंट्री भी तैयार किया गया है।
जलियांवाला बाग का इतिहास
अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग का इतिहास 13 अप्रैल, 1919 घटना से संबंधित है। अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। ठीक उसी समय अंग्रेजी सरकार ने इस बाग में भीषण नरसंहार को अंजाम दिया था। अंग्रेज सैनिकों ने निहत्थे लोगों पर लगातार 10 मिनट तक गोलियां बरसाई थीं। इस घटना में सैकड़ों लोग मारे गए थे। जलियांवाला बाग की दीवार पर गोलियों के निशान अब भी मौजूद हैं।
Updated on:
28 Aug 2021 08:06 pm
Published on:
28 Aug 2021 07:05 pm
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