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नितिन गडकरी ने संभाला मंत्रालय, अब सैटेलाइट से कटेगा टोल, द्वारका एक्सप्रेस वे पर ट्रायल सफल

Satellite Based Toll Collection: टोल पर लगने वाला समय बहुत जल्द कम लगेगा। न तो पैसा काटने में झंझट होगा और ही बूथ पर रूक अपनी पारी का इंतजार करने पड़ेगा। अपने आप पैसा सैटेलाइट के माध्यम से कट जाएगा। इसका परीक्षण सफल हो गया है। किसी भी समय इसको लागू करने का आदेश जारी हो सकता है। दिल्ली से निकलकर जयपुर होते हुए मुंबई तक जाने वाले एक्सप्रेस वे पर इसके जल्द ही लागू होने की संभावना है।

नई दिल्लीJun 11, 2024 / 11:53 am

Anand Mani Tripathi

Satellite Based Toll Collection: सड़क एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय अब देश में टोल बूथ सिस्टम खत्म करने की तैयारी कर रहा है। अब देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेस वे पर सैटेलाइट माध्यम से टोल वसूल किया जाएगा। द्वारका एक्सप्रेस वे पर इसका सफल परीक्षण हो गया है। इसके बाद अब इसे पूरे देश में लागू कर टोल बैरियर हटाने की तैयारी है। इससे टोल पर लगने वाला समय, लाइन और जाम से मुक्ति मिल जाएगी। यह सिस्टम इसलिए लाना भी जरूरी हो गया है, क्योंकि तेजी से बढ़ते सड़क नेटवर्क के बाद वाहनों की संख्या भी काफी तेजी से बढ़ रही है और मौजूदा फास्टैग टोल वसूली सिस्टम में तमाम सारी खामियां हैं। इसलिए इसकी जरूरत पड़ी है।
दो तरह से काटा जाएगा टोल
सड़क एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि गाड़ियों का टोल दो तरह से काटा जाएगा। सबसे पहला माध्यम ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) होगा। इसमें जीपीएस ट्रैक कर टोल काटा जाएगा। इसके अलावा हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) के जरिए भी टोल की वसूली होगी। इन दोनों तरीकों से दूरी के हिसाब से टोल काट लिया जाएगा।
ऐसे काम करेगा पूरा तंत्र
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि प्लाजा से 500 मीटर पहले और बाद में सेंसर लगाएंगे। यह नंबर प्लेट से वाहन का पता लगाएगा कि कौन से वाहन कहां से एक्सप्रेसवे या नेशनल हाईवे पर चढ़ा और कहां से बाहर निकल गया। इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कई बार चर्चा कर चुके हैं लेकिन अब काम तेज हो गया है।
डेढ़ मिनट में प्लाजा पार
अभी किसी भी टोल प्लाजा को पार करने का औसत समय सात मिनट है। इस प्रणाली के बाद यह समय घटकर डेढ़ मिनट हो जाएगा। सरकार ने सभी गाड़ियों में जीपीएस अनिवार्य कर दिया है ऐसे में टोल व्यवस्था में भी आसानी होगी।
यहां लागू है ऐसी व्यवस्था
सड़क, परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस प्रणाली के जबरदस्त हिमायती हैं। वह लगातार प्रणाली को लागू करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि भारत से पहले जर्मनी, रूस, स्लोवाकिया, यूरोपियन देशों के साथ कई खाड़ी देशों में भी यह व्यवस्था पहले से लागू है।
अभी लागू है फॉस्टटैग सिस्टम
सबसे पहले टोल प्लाजा पर कैश में टोल वसूली होती थी। इसमें लंबा जाम लगता था। इससे निपटने के लिए फास्टैग व्यवस्था आई। ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरों की मदद से फास्टैग वॉलेट का बैलेंस चेक कर टोल काटा जाता है लेकिन इस व्यवस्था में भी तमाम सारी खामियां हैं। स्कैन नहीं होना और बैलेंस कम दिखाना सबसे बड़ी समस्या है।
वैश्विक स्तर पर टेंडर आमन्त्रित, 22 जुलाई तक देना होगा आवेदन
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल संचालन प्रणाली को ज्यादा पारदर्शी, यात्रा को अधिक सुगम तथा सरल बनाने के वास्ते जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली विकसित करने के लिए वैश्विक स्तर पर अभिरुचि पत्र-ईओआई आमंत्रित किए हैं। एनएचएआई मौजूदा फास्टैग इकोसिस्टम के तहत जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली के क्रियान्वयन की दिशा में तेजी से काम कर रहा है और इसके लिए टोल प्लाजा पर जीएनएसएस लेन बनाने की योजना है। ईओआई के जरिये उन्नत उपग्रह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना है और इसके लिए वैश्विक स्तर पर काम करने वाली कंपनियों से अभिरुचि पत्र आमंत्रित किये गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों पर जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह-ईटीसी के लिए इच्छुक कंपनियां से 22 जुलाई तक टेंडर मंगाए गए हैं।

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