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प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा को किया संबोधित, जानिए भाषण की 10 बड़ी बातें

PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष सत्र संबोधन के साथ सोमवार को पहले दिन की संसदीय कार्यवाही शुरू हो गई । पीएम मोदी ने अपने संबोधन में 75 साल की संसद यात्रा पर पूरा प्रकाश डाला।

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PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष सत्र संबोधन के साथ सोमवार को पहले दिन की संसदीय कार्यवाही शुरू हो गई । पीएम मोदी ने अपने संबोधन में 75 साल की संसद यात्रा पर पूरा प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह सत्र भले ही छोटा है लेकिन समय के हिसाब से बहुत ही बड़ा सत्र है। यह ऐतिहासिक निर्णय का सत्र है। 75 साल की यात्रा नए मुकाम से शुरू हो रही है। आइए आपको बताते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की दस बड़ी बातें...

देश की 75 साल की संसदीय यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने संबोधन में कहा कि यह देश की 75 साल की संसदीय यात्रा का स्मरण करने और नए सदन में जाने से पहले हमें उन प्रेरक पलों को स्मरण करने और आगे बढ़ने का अवसर है। हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। यह भवन हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है। यह स्वर्णिम इतिहास का बड़ा अध्याय है। आज का दिन इस सदन के सदस्य रहे 7,500 जन प्रतिनिधियों के गुणगान का दिन है। मुझे उम्मीद है कि नई संसद में सभी सदस्य नई उमंग के साथ जाएंगे।

G-20 की सफलता पूरे देश की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि G-20 शिखर सम्मेलन की सफलता देश की सफलता है और यह किसी व्यक्ति, किसी दल की सफलता नहीं है। देश इस पर गर्व करेगा कि जब भारत अध्यक्ष था तब अफ्रीकी संघ G-20 का सदस्य बना। भारत की पहचान एक विश्व मित्र के रूप में है।

यहां भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त ने दिखाई वीरता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा यही वही सदन जहां कभी भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त ने वीरता और सामर्थ्य का परिचय बम धमाका करके दिया था। यह वही सदन है जहां से पंडित नेहरू के 'एट द स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट' भाषण की वो गूंज हमें प्रेरित करती रहेंगी। इसी सदन में अटल जी ने कहा था कि सरकारें आएंगी, जाएंगी, लेकिन ये देश रहना चाहिए। इसी सदन ने आपातकाल भी देखा और लोकतंत्र की मजबूत वापसी भी।

आंबडेकर ने वाटर पॉलिसी दी, इंदिरा ने बांग्लादेश
पंडित नेहरू की कैबिनेट में बाबा साहेब बहुत योगदान दिया रहा। आंबडेकर ने देश को नेहरू जी की सरकार में देश को वाटर पॉलिसी दी थी। श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने इस देश में पहली इंडस्ट्री पालिसी दी। शास्त्री जी ने 65 के युद्ध में देश के सैनिकों का हौंसला इसी सदन से बढ़ाया और बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के आंदोलन में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इसी सदन ने देखा।

पंडित नेहरू से लेकर राजीव तक का जिक्र
इसी संसद में जवाहरलाल नेहरू जी, शास्त्री जी, इंदिरा जी, अटल जी, मनमोहन जी ने सदन के माध्यम से देश को दिशा दी। सरदार पटेल, लोहिया जी, आडवाणी जी ऐसे अनगिनत नाम हैं, जिन्होंने हमारे सदन को समृद्ध किया है। आज सभी का गुणगान करने का समय है। राजीव जी और इंदिरा जी को जब देश ने खो दिया तब इसी सदन ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी।

अनुच्छेद 370 का किया जिक्र
इसी सदन ने मतदान की उम्र घटा युवाओं को वोटिंग का अधिकार दिया। नरसिम्हा राव की सरकार ने नई आर्थिक नीतियां अपनाईं। अटल बिहारी वाजपेयी ने सर्वशिक्षा अभियान दिया और परमाणु परीक्षण किया। इसी सदन ने अनुच्छेद 370 को हटते देखा, इसी सदन ने GST देखा।

संसद पर आतंकी हमला
संसद पर हुए आतंकी हमले कौन भूला सकता है। पूरे विश्व में यह हमला एक इमारत पर नहीं था बल्कि हमारी जीवात्मा पर ये हमला था। यह देश उस घटना को कभी नहीं भूल सकता है लेकिन आतंकियों से लड़ते- लड़ते, सदस्यों को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोलियां झेलीं आज मैं उनको भी नमन करता हूं।

अंदर की खबर और अंदर के अंदर की खबर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब आज हम इस सदन को छोड़ रहे हैं तो मैं उन पत्रकारों को भी याद करना चाहता हूं। जिन्होंन यहां रिपोर्टिंग की है। उनकी समार्थ्यता थी कि वो अंदर की खबर और अंदर के अंदर की खबर भी पहुंचाते थे। उनके काम को कोई भूल नहीं सकता है। जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है।

नेहरू जी के गुणगान पर कौन ताली नहीं बजाएगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह वही सदन है जहां 4 सांसद वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सांसद वाली विपक्ष में होती थी। नेहरू जी का गुणगान अगर इस सदन में होगा तो कौन सदस्य होगा जो उस पर ताली नहीं बजाएगा। मुझ पूरा विश्वास है कि आपके मार्गदर्शन में जब नई संसद में जाएंगे तो नए विश्वास के साथ जाएंगे।

मैंने कभी सोचा नहीं था कि देश मुझे इतना प्यार देगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजाद भारत के नवनिर्माण से जुड़ी अनेक घटनाओं को इन 75 सालों में हमने इसी सदन में आकार लेते हुए देखा। मैंने सहज रूप से शीश झुकाकर पहली बार इस लोकतंत्र के मंदिर को नमन करते कदम रखा था। प्लेटफॉर्म पर चाय बेचकर गुजारा करने वाला गरीब का बेटा संसद पहुंच गया। मैंने कभी सोचा नहीं था कि देश मुझे इतना प्यार देगा।