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पंजाब सरकार ने विरोध के बाद मत्तेवाड़ा टेक्सटाइल पार्क परियोजना को किया रद्द

Mattewara Textile Park Project:मत्तेवाड़ा टेक्सटाइल पार्क प्रोजेक्ट को पंजाब की मान सरकार ने रद्द कर दिया है। ये फैसला पंजाब सरकार ने भारी विरोध के बाद लिया है। क्या है ये प्रोजेक्ट और क्यों हो रहा था इसका विरोध?

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Mahima Pandey

Jul 11, 2022

Punjab Govt cancel Mattewara textile park  project cancel after protest

Punjab Govt cancel Mattewara textile park project cancel after protest

सतलुज नदी के मत्तेवाड़ा जंगल और बाढ़ के मैदानों से सटी एक हजार एकड़ में टेक्सटाइल पार्क बनाने की योजना को पंजाब सरकार ने रद्द कर दिया है। ये फैसला इस प्रोजेक्ट के खिलाफ चल रहे भारी विरोध के बाद लिया गया है। इस प्रोजेक्ट का विरोध काफी समय से चल रहा था। इसे तत्कालीन कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने जुलाई 2020 में इस परियोजना को मंजूरी दी थी जो 955.67 एकड़ भूमि पर स्थापित की जाएगी। इसी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की सरकार की योजना का स्थानीय लोग और गैर सरकारी संगठन विरोध कर रहे हैं। एक स्थानीय पंचायत ने भी पंचायत की जमीन को औद्योगिक पार्क में स्थानांतरित नहीं करने देने का प्रस्ताव पारित किया है।

विरोध के लिए बनाई गई समिति
राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में बजट सत्र के दौरान सदन को सूचित किया था कि मुआवजा देकर 493 एकड़ भूमि पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है। 492 एकड़ से अधिक भूमि राज्य सरकार की है। इस घोषणा के बाद से एक बार फिर से इस प्रोजेक्ट का विरोध तेज हो गया।

टेक्सटाइल पार्क का विरोध करने के लिए एक सार्वजनिक कार्रवाई समिति (PAC) का गठन करने वाले गैर सरकारी संगठनों के एक समूह ने रविवार को अपना विरोध और तेज कर दिया। इस विरोध में शिरोमणी अकाली दल भी शामिल हो गया।

10 जुलाई को देखने को मिला भारी विरोध
दरअसल, मत्तेवाड़ा जंगल और बाढ़ के मैदानों से सटी एक हजार एकड़ में टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने के फैसले को रद्द करने को लेकर 50 गैर सरकारी संगठनों की पब्लिक एक्शन कमेटी द्वारा 10 जुलाई को भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। इसका समर्थ अकाली दल ने भी खुलकर किया।

बता दें कि इस टेक्सटाइल पार्क का एक बड़ा हिस्सा सतलुज दरिया से सटा है जहां 40-50 डाइंग यूनिट स्थापित किये जाते और एक यूनिट से रोजाना औसतन 10 लाख लीटर पानी का इस्तेमाल करते। इसके बाद कैमिकल युक्त पानी नदी में ही बहा दिया जाता। इसे सतलुज नदी का पानी जहरीला बन जाता। इससे नदी में रहने वाले जीवों को खतरा होता। जैव विविधता को नुकसान नदी का पानी इस्तेमाल के लायक नहीं रह जाता। यही कारण है कि इसका पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ता विरोध कर रहे थे।