
लुधियाना से मैं मोगा के लिए बस से रवाना हुआ। करीब दो घंटे बाद बस मोगा शहर के बीच में फ्लाइओवर के पास रुकी। मैं यहीं उतर गया और पैदल ही चलने लगा। थोड़ा आगे जाकर बाजार आया। यहां छात्राएं समूह में सड़क पार कर रही थीं और पंजाब पुलिस यातायात व्यवस्था बनाने में जुटी थी। पंजाब पुलिस को देखकर याद आया कि खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख भगोड़े अमृतपाल सिंह को यहीं से पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था। तब मोगा देशभर में सुर्खियों में रहा। इसके बाद शहर भ्रमण के लिए ई- रिक्शा में सवारी शुरू की तो मेरी मुलाकात कपड़े के व्यापारी राजकुमार से हुई। मैने उनसे पूछा कि चुनाव आ रहे हैं, जनता का क्या मूड है? इस पर उन्होंने कहा जनता को तो किसी न किसी को वोट देना है, जनता तो है ही वोट देने के लिए। चुनाव के बाद जनता का क्या हाल होता है, यह सबको पता है। मैंने फिर पूछा मोगा में ऐसा क्या हो गया? इस पर बोले, मोगा में दिन दहाड़े व्यापारियों को डराया जाता है। फिरौती तक मांगी मांग ली जाती है और इससे ज्यादा क्या होगा। मिठाई की दुकान के पास मिले प्रकाशवीर से चर्चा छेड़ते हुए पूछा पंजाब में इस बार कौनसा दल भारी लग रहा है। इस पर वे बोले, पंजाब ऐसा राज्य है, जिससे हर दल को उम्मीदें हैं, इसलिए हर दल जनता को लुभाने के मुद्दे ढूढ़ रहे हैं, पर किसी दल के लिए राह आसान नहीं है।
किसी लहर का असर यहां नहीं
यहां से रूपनगर पहुंचने पर लक्ष्मीचंद से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि लोगों को राज्य में 600 यूनिट तक बिजली फ्री मिल रही है, ऐसे वादों से ही यहां आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी, इस बार कौनसा दल किस तरह लुभाएगा, उसी दिशा में पंजाब जाएगा। यहां किसी दल की लहर का कोई असर नहीं पडऩे वाला है। पंजाब में जीत के लिए किसानों को साथ लेना होगा। श्रीआनंदपुर साहिब के बस स्टैंड पर जसविंदर से पूछा कि पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी (आप) के गठबंधन पर विराम क्यों लग गया है। इस पर वे बोले, ये होना ही था, जब आम आदमी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सत्ता छीनी है, ऐसे में यह चुनाव पंजाब में इन दोनों का दलों का भविष्य तय करने वाला है। जब दोनों के अस्तित्व का सवाल है तो राहें जुदा-जुदा होनी है।
किसान आंदोलन बदलेगा समीकरण
मोदी लहर के सवाल पर यहां खड़े शरणजीत ने कहा, यह भी सबको पता है कि पंजाब में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो सीटों पर ही मोदी फैक्टर चला। इस बार भी भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है। आम चुनाव से ठीक पहले पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान आंदोलन एक बार फिर भाजपा को चोट दे रहा। इसी के चलते शिरोमणी अकाली दल और भाजपा के गठबंधन का रास्ता साफ नहीं हो पाया है। लंबे समय तक पंजाब में कांग्रेस और शिरोमणी अकाली दल की सत्ता रही है। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीनी थी, इसके बाद से ही वहां के सियासी समीकरण कांग्रेस और शिरोमणी अकाली दल के लिए चुनौती वाले हो गए हैं। जगजीत सिंह ने कहा, पंजाब के किसानों में असंतोष है। इस असंतोष का असर लोकसभा चुनावों में पडऩा तय है। किसानों को उम्मीद है केन्द्र सरकार पर दबाव बनेगा तो उनकी लंबित मांगें मानी जा सकती है।
पंजाब को प्रयोशाला बना रहे राजनीतिक दल
थोड़ा आगे चला तो एक साथ मोजड़ी की कई दुकानें नजर आई। यहां दुकानदार आशोक से बातचीत करते हुए पूछा कि लोकसभा चुनाव आ रहे हैं, इस बार क्या सियासी मिजाज है? इस पर बोले चुनाव और नेताओं के बारे में बात नहीं करें तो अच्छा है। राजनीति के नाम पर पंजाब में क्या हो रहा है, सबको पता है। पंजाब को राजनीतिक दलों ने प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है। पंजाब में इस समय विकास से ज्यादा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, भाजपा और शिरोमणी अकाली दल की गतिविधियों की चर्चा है।
पंजाब लोकसभा चुनाव 2019 : एक नज़र
कुल सीट- 13
भाजपा- 02
कांग्रेस-08
शिरोमणी अकाली दल-02
बसपा-0
आप-01
वोट शेयर प्रतिशत -
भाजपा : 9.74
कांग्रेस : 40.58
शिरोमणी अकाली दल- 27.76
बसपा- 3.52
आप- 7.46
कुल मतदान : 65.94
पुरूष मतदान : 65.61
महिला मतदान :65.61
विधानसभा चुनाव 2022 में पंजाब-
विधानसभा चुनाव 2022 में पंजाब की 117 सीटों में से आम आदमी पार्टी को 92, कांग्रेस को 18, शिरोमणी अकाली दल को 3, भाजपा को 2 और एक सीट बसपा को मिली। वहीं, एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की। इन चुनावों के दो साल बाद ही लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैंं।
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Updated on:
19 Feb 2024 01:45 pm
Published on:
19 Feb 2024 01:13 pm
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