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24 मिनट में सिर्फ 1 KM चले राहुल गांधी, नुक्कड़ सभा को भी नहीं किया संबोधित, जानें क्या है कांग्रेस का ‘बिहार प्लान’

कांग्रेस का 'बिहार प्लान' युवाओं और रोजगार के मुद्दे को केंद्र में रखकर राज्य में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने का है।

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कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी एक बार फिर बिहार की धरती पर उतरे, इस बार "पलायन रोको, नौकरी दो" यात्रा के साथ। बिहार में विधानसभा चुनाव भले ही अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना हो, लेकिन कांग्रेस ने अभी से अपनी खोई हुई सियासी जमीन को फिर से हासिल करने की मुहिम छेड़ दी है। राहुल गांधी के इस दौरे ने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया, लेकिन उनकी धीमी चाल और नुक्कड़ सभा को संबोधित न करने ने कई सवाल भी खड़े कर दिए।

24 मिनट में 1 किलोमीटर का सफर किया पूरा

बेगूसराय के आईटीआई मैदान से शुरू हुई इस पदयात्रा में राहुल गांधी के साथ हजारों कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता और समर्थक कदम से कदम मिलाकर चलते नजर आए। सफेद टी-शर्ट पहने कार्यकर्ताओं की भीड़ और राहुल गांधी पर फूलों की बारिश ने माहौल को उत्सवी बना दिया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि 24 मिनट की इस पदयात्रा में राहुल गांधी सिर्फ 1 किलोमीटर ही चल पाए। इस दौरान उन्होंने न तो कोई नुक्कड़ सभा को संबोधित किया और न ही भीड़ के बीच कोई बड़ा संदेश दिया। फिर भी, कांग्रेस का दावा है कि यह यात्रा बिहार के युवाओं की आवाज और उम्मीद बनकर उभरेगी।

क्या है राहुल का 'बिहार प्लान'

कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपनी मंशा साफ की। पार्टी ने लिखा, "नेता विपक्ष राहुल गांधी ने आज 'पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा' में कदमताल कर यात्रा के संदेश को मजबूती के साथ बुलंद किया। बिहार के युवाओं को पलायन नहीं, उन्हें खुद के प्रदेश में रोजगार मिले—ये हमारी यात्रा का लक्ष्य है।" एक अन्य पोस्ट में कहा गया, "बेरोजगारी, महंगाई, पेपर लीक और पलायन के खिलाफ हमारी ये लड़ाई, युवाओं को न्याय दिलाने तक जारी रहेगी।" यह साफ है कि कांग्रेस का 'बिहार प्लान' युवाओं और रोजगार के मुद्दे को केंद्र में रखकर राज्य में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने का है।

इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी का यह तीसरा बिहार दौरा है, जो उनकी सक्रियता को दर्शाता है। सोमवार को बेगूसराय के बाद वे पटना पहुंचे, जहां श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में संविधान संरक्षण सम्मेलन में हिस्सा लिया। इसके बाद सदाकत आश्रम में कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति पर चर्चा की और शाम को दिल्ली लौट गए। बिहार के नेताओं के साथ हाल की बैठक के बाद इस यात्रा को सियासी नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है।

कांग्रेस का यह 'बिहार प्लान' न सिर्फ पलायन और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों को उठाने की कोशिश है, बल्कि राज्य में विपक्ष के तौर पर अपनी मौजूदगी को मजबूत करने का भी प्रयास है। अब देखना यह है कि क्या यह प्लान बिहार में कांग्रेस की सियासी किस्मत बदल पाएगा, या यह सिर्फ एक और कोशिश बनकर रह जाएगा। बिहार की जनता और राजनीति की नजर अब इस पर टिकी है।