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Railway Bonus: दिवाली से पहले रेलवे कर्मचारियों की चांदी, 78 दिनों का मिलेगा बोनस

Railway Bonus: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में रेल कर्मियों को 78 दिन का बोनस देने की घोषणा की है।

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Railway Bonus: दिवाली से पहले केंद्र सरकार ने रेलवे कर्मचारियों के लिए बड़ा ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में रेल कर्मियों को 78 दिन का बोनस देने की घोषणा की है। इसका 11,72,240 रेल कर्मियों को लाभ होगा। बोनस के लिए 2028.57 करोड़ रुपए मंजूर किया गया। रेल, आईटी और सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि चेन्नई मेट्रो फेज-2 और मराठी सहित पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का भी निर्णय किया गया है।

किसे मिलेगा फायदा?

रेलवे कर्मचारियों के बोनस का लाभ विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों को मिलेगा। इसमें शामिल हैं। इन सभी कर्मचारियों को बोनस का भुगतान उनकी सेवाओं के लिए दिया जाएगा, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिलेगा और उनके काम की सराहना होगी।
ट्रैक मेंटेनर: जो रेलवे ट्रैक की देखरेख और मरम्मत का काम करते हैं।
लोको पायलट: जो ट्रेन चलाने का काम करते हैं।
ट्रेन मैनेजर (गार्ड): जो ट्रेन संचालन और यात्रियों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं।
स्टेशन मास्टर: जो स्टेशन पर ट्रेन संचालन और अन्य व्यवस्थाओं की देखरेख करते हैं।
पर्यवेक्षक: जो रेलवे कर्मचारियों के कार्यों की निगरानी करते हैं।
तकनीशियन और तकनीशियन हेल्पर: जो ट्रेनों और रेलवे उपकरणों की तकनीकी देखरेख और मरम्मत का काम करते हैं।
ग्रुप सी स्टाफ: जो प्रशासनिक और तकनीकी कार्यों में सहयोग देते हैं।
प्वाइंट्स मैन: जो ट्रेनों के सही दिशा में जाने के लिए ट्रैक पॉइंट्स को नियंत्रित करते हैं।
मिनिस्टि्रयल स्टाफ: जो रेलवे के प्रशासनिक और क्लेरिकल कार्यों में सहायता करते हैं।

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किसानों की बल्ले बल्ले

वैष्णव ने कहा कि पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और कृषोन्ति योजनाओं के लिए 1,01,321 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है। इन दोनों कार्यक्रमों में 9-9 योजनाएं शामिल की गई हैं। इससे किसानों की आय बढ़ने के साथ मध्यम और गरीब वर्ग की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

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पांच और भाषाएं 'क्लासिक'

कैबिनेट ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषा को क्लासिकल भाषा का दर्जा देने का फैसला किया है। तमिल, संस्कृत, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया को पहले से ही क्लासिकल भाषा का दर्जा प्राप्त है।