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Ratan Tata को मिलना था लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, पूरी हो गई थी तैयारी लेकिन इंग्लैंड निकलने से ठीक पहले क्या हुआ…

Ratan Tata Ki Wasiyat: रतन टाटा को जैसा लगाव अपने पेट डॉग टीटो (Tito) से था कुछ ऐसा ही लगाव ग्वालियर राजघराने के महाराजा माधो राव सिंधिया (Maharaja Madhorao Scindia) का अपने पालतू Dog से था। रतन टाटा की तरह महाराजा ने भी अपनी वसीयत (Will) में अपने पेट का नाम लिखवाया था।

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Ratan Tata With His Dog

Ratan Tata's Will With His Dog Tito

Ratan Tata Ki Vasiyat: टाटा समूह (Tata Group) के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) अपनी संपत्ति में सौतेली बहनों शिरीन और डिएना जीजीभॉय के साथ-साथ सहयोगी शांतनु नाएडू (Shantanu Naidu) कर्मचारियों और पालतू डॉग टीटो तक के लिए कुछ न कुछ छोड़ गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, टाटा की वसीयत (Will) में उनके जर्मन शेफर्ड पालतू श्वान टीटो का विशेष उल्लेख है। रतन टाटा ने अपनी वसीयत में जैसा किया है कभी वैसा ही ग्वालियर राजघराने के महाराज माधो राव सिंधिया (Maharaja Madhorao Scindia) ने किया था। 100 साल पहले उस वसीयत (Wasiyat) की भी खूब चर्चा हुई थी।

ब्रिटिश राजघराने का अवार्ड ठुकराया

रतन टाटा अपने पालतू जर्मन शेफर्ड डॉग टीटो से बहुत प्यार करते थे। टाटा की वसीयत (Will) में उनके जर्मन शेफर्ड पालतू श्वान टीटो का विशेष उल्लेख है। वसीयत के अनुसार टीटो की देखभाल उनके पुराने रसोइए राजन शॉ करेंगे। वे जानवरों से करीबी थे इस बात का अंदाजा इस एग्जामपल से समझ सकते हो। ब्रिटिश राजघराने ने वर्ष 2018 में रतन टाटा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देने का मन बनाया। रतन टाटा ने अपने पालतू टीटो की बिगड़ी तबीयत के चलते इस अवार्ड को ठुकरा दिया।

'सॉरी, मैं नहीं आ सकता...'

एक इंटरव्यू में Ratan Tata के दोस्ट सुहैल सेठ ने इस बात का खुलासा किया। उन्होंने बताया, 'कुछ साल पहले रतन टाटा को बकिंघम पैलेस में प्रिंस ऑफ वेल्स से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिलना था। मैं लंदन पहुंच गया था। सारी तैयारियां हो चुकी थीं। लास्ट टाइम रतन टाटा के पालतू कुत्ते की तबीयत बिगड़ गई। टाटा ने कॉल करके बोला कि सॉरी, मैं नहीं आ सकता। मुझे उसकी देखभाल करनी होगी। वह नहीं आ सके।'

माधो राव सिंधिया का पशु प्रेम


रतन टाटा अपने पेट डॉग से जैसा प्यार करते थे ठीक वैसा ही लगाव ग्वालियर राजघराने के महाराजा माधो राव सिंधिया का अपने पालतू श्वान से था। महाराजा अपने पालतू हर जगह साथ लेकर जाते थे। महाराजा माधो राव जब साल 1925 में पेरिस में बीमार हुए तो उन्हें सबसे ज्यादा चिंता अपने पालतू डॉग हुस्सू की हुई। महाराज ने अपनी सबसे वरिष्ठ महारानी चिनकू राजे को बुलवाया और कहा कि मैं मर जाऊं तो हुस्सू की देखभाल में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। माधो राव ने 5 जून 1925 को निधन से पहले अपनी वसीयत लिखी। इसमें खासतौर से अपने पालतू कुत्ते हुस्सू का जिक्र किया और उसकी देखभाल के लिए भारी-भरकम रकम छोड़कर गए।

10,000 करोड़ रुपए की संपत्ति छोड़ गए टाटा

रतन टाटा अपने पीछे अनुमानित रूप से 10,000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति छोड़ गए है, जिसमें अलीबाग में 2,000 वर्ग फुट का समुद्र तटीय बंगला, मुंबई में जुहू तारा रोड पर दो मंजिला घर, 350 करोड़ रुपए से अधिक की सावधि जमा और 165 अरब डॉलर के टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 0.83 प्रतिशत हिस्सेदारी सहित दर्जनों गाड़ियां शामिल हैं।

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