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उमर खालिद केस का जिक्र कर पूर्व सीजेआई ने जजों के खिलाफ नैरेटिव सेट करने पर उठाए सवाल, कहा- मैं केस की…

डीवाई चंद्रचूड़ ने उमर खालिद केस का जिक्र कर कहा कि जजों के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक नैरेटिव सेट किया जाता है, जहां जज अपने बचाव में कुछ नहीं कह पाते।

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भारत

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Ashib Khan

Sep 03, 2025

उमर खालिद मामले में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने की टिप्पणी (Photo-IANS)

2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ी बड़ी साजिश मामले में उमर खालिद सहित 9 आरोपियों की जमानत याचिका को हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर देने के बाद सोशल मीडिया पर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का एक वीडियो वायरल रहा है। इसमें पूर्व सीजेआई उमर खालिद की जमानत अर्जी को लेकर बोल रहे है। उन्होंने कहा कि इस केस में खालिद के वकीलों ने SC में जमानत अर्जी को लटकाने की कोशिश की और बाद में उसे वापस ले लिया। 

वकीलों ने आगे मांगी तारीख- पूर्व सीजेआई

उमर खालिद के वकील द्वारा तारीखे आगे मांगने लेकर पूर्व सीजेआई ने कहा कि मैं मामले में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन मैं एक बात बताना चाहता हूं जो कि उमर खालिद के केस में बहुत से लोगों की नजरों से गायब हो जाती है। उमर खालिद के केस में वकील द्वारा कम से कम सात या उससे अधिक बार तारीख आगे मांगी और बाद में आवेदन वापस ले लिया।

‘जज के सामने बार-बार स्थगन की मांग की’

चंद्रचूड़ ने कहा तो इस पर आपका क्या कहना है - कि एक तरफ़ तो आपने जज के सामने बार-बार स्थगन की मांग की, फिर आपने केस वापस ले लिया? केस पर बहस करने में इतनी हिचकिचाहट क्यों? अगर आप अदालत में असल में जो कुछ होता है, उसके बारीक़ी से देखें, तो हक़ीक़त थोड़ी ज़्यादा बारीक़ है।

केस का रिकॉर्ड चेक करने की दी सलाह

वहीं इस केस में जजों पर सवाल उठाने वाले लोगों को डीवाई चंद्रचूड़ ने रिकॉर्ड चेक करने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जजों के खिलाफ एक नैरेटिव सेट किया जाता है, जहां पर जज अपने बचाव में कुछ नहीं कह पाते है। 

क्या है पूरा मामला

बता दें कि यह मामला 2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा से जुड़ा हुआ है। इस दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग घायल हो गए थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2020 में एफआईआर संख्या 59 दर्ज की थी, जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, ताहिर हुसैन, खालिद सैफी समेत कई लोगों के नाम शामिल थे। आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के कड़े प्रावधानों के साथ-साथ आपराधिक साजिश, दुश्मनी फैलाने, दंगा करने और हत्या से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।