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‘भारत का सच्चा दोस्त कौन है? पहलगाम हमले के बाद सब मालूम पड़ गया’, ऑपरेशन सिंदूर पर क्या बोले मोहन भागवत?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी पर कहा कि पहलगाम आतंकी हमले में धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की गई, जिससे देश में शोक और क्रोध फैल गया। सरकार और सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। भागवत ने स्वदेशी अपनाने और आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया।

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भारत

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Mukul Kumar

Oct 02, 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत। (फोटो- IANS)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को महाराष्ट्र के नागपुर में संगठन के मुख्यालय में विजयादशमी के अवसर पर देश को संबोधित किया। इस दौरान, उन्होंने पहलगाम हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक के बारे में खुलकर अपनी बात रखी।

उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में सरहद पार से आए आतंकवादियों द्वारा 26 भारतीय यात्रियों की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकियों ने धर्म पूछकर बेरहमी से उन्हें मारा, जिसने पूरे भारत में गहरा शोक और क्रोध उत्पन्न कर दिया।

भागवत बोले- भारत सरकार ने कड़ा जवाब दिया

भागवत ने आगे कहा कि भारत सरकार ने इस हमले का कड़ा जवाब देने के लिए मई माह में योजना बनाई और कार्रवाई की। इस पूरे घटनाक्रम में देश के नेतृत्व की दृढ़ता, हमारी सेना के पराक्रम और युद्ध कौशल के साथ-साथ समाज की एकता का अद्भुत दर्शन हुआ। उन्होंने इस दृढ़ता और एकता को देश की सबसे बड़ी ताकत बताया। इसके साथ, उन्होंने एक सलाह भी दी।

भागवत ने कहा कि हम अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हैं और आगे भी बनाए रखेंगे, लेकिन जब बात हमारी सुरक्षा की आती है, तो हमें और अधिक सावधान, सतर्क और मजबूत होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद, विभिन्न देशों के रुख से यह मालूम पड़ गया कि भारत का कौन सच्चा दोस्त है और किस हद तक।

पर्यावरण को लेकर क्या बोले भागवत?

इसके अलावा, भागवत ने पर्यावरण को लेकर भी चिंता जताई। भागवत ने कहा कि जो भौतिकवादी और उपभोक्तावादी विकास मॉडल विश्वभर में अपनाए जा रहे हैं, उनके दुष्परिणाम प्रकृति पर स्पष्ट दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अनियमित और अप्रत्याशित वर्षा, भूस्खलन और ग्लेशियरों के सूखने जैसी घटनाएं इसकी साक्षी हैं। हमें इस दिशा में सोच-समझ कर कदम उठाने होंगे।

महाकुंभ का भी भागवत ने किया जिक्र

भागवत ने प्रयागराज में हाल ही में संपन्न महाकुंभ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ न केवल श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति के कारण ऐतिहासिक बना, बल्कि इसकी बेहतर व्यवस्था ने भी सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।

उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने समस्त भारत में श्रद्धा और एकता की प्रचंड लहर पैदा की और इसे एक वैश्विक उदाहरण बना दिया।

भागवत ने कहा कि देशभर में विशेषकर युवा पीढ़ी में राष्ट्रवादी भावना, सांस्कृतिक आस्था और आत्मविश्वास निरंतर बढ़ रहा है। स्वयंसेवकों के अलावा, विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं और व्यक्ति भी समाज के वंचित वर्गों की निस्वार्थ सेवा के लिए आगे आ रहे हैं।