
संघ का दिल्ली में तीन दिन व्याख्यान में भागवत का बयान
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सर संघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने दिल्ली में आयोजित व्याख्यान के तीसरे दिन कहा कि काशी और मथुरा आंदोलन में संघ शामिल नहीं होगा। स्वयंसेवक किसी भी आंदोलन में भाग लेने के लिए स्वतंत्र हैं। भागवत ने कहा कि संघ राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा था और उसे अंजाम तक ले गया। अब संघ इस तरह के आंदोलन में नहीं जुड़ेगा, बल्कि चरित्र निर्माण के लिए काम करेगा।
भागवत ने यह भी कहा कि बस तीन जगह (काशी, मथुरा और अयोध्या ) की बात है। विरोधी पक्ष (मुसलमान) को भाईचारे के नाते यह हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। उन्होंने यह भी दोहराया कि इन तीन जगह से हिंदुओं की भावनाएं जुड़ी हैं। बाकी सभी जगह-जगह शिवलिंग या मंदिर खोजने की जरूरत नहीं है।
काशी के विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद लंबे समय से सुर्खियों में हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि इन दोनों धार्मिक स्थलों को मुगल काल में तोड़ा गया और मस्जिद बनाई गई। हिंदू पक्ष का मानना है कि काशी में विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर मुगल शासक औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई और मुथरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर शाही ईदगाह मंदिर का निर्माण हुआ, लेकिन मुस्लिम पक्ष इन दावों को खारिज करता है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये स्थल ऐतिहासिक रूप से मस्जिद हैं। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट में 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती दी गई है, जो धार्मिक स्थलों की स्थिति को 1947 जैसी बनाए रखने की बात करता है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने में बाधा है।
व्याख्यान के दौरान संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि भारत में इस्लाम का हमेशा से स्थान रहेगा। उन्होंने कहा कि संघ किसी भी व्यक्ति के आस्था पर हमला करने का विश्वास नहीं रखता है। धर्म व्यक्तिगत पसंद का मामला है। इस मामले में किसी भी तरह का प्रलोभन या जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू व मुस्लमान एक जैसे हैं। अंतर सिर्फ पूजा पद्धति में है। हिंदुओं का यह सोच नहीं है कि इस्लाम खत्म हो जाए। हिंदुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे के बीच भरोसा कायम करना चाहिए। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से आग्रह किया कि वह अपने गली, मुहल्लों का नाम किसी आंक्राता के नाम पर न रखे। उन्हें एपीजे अब्दुल कलाम, अब्दुल हमीद के नाम पर रखना चाहिए।
इससे पहले संवाद कार्यक्रम के दूसरे दिन सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि संघ जितना विरोध किसी संगठन का नहीं हुआ। फिर भी स्वयं सेवकों के मन में समाज के प्रति शुद्ध सात्विक प्रेम ही है। इसी प्रेम के कारण अब हमारे विरोध की धार कम हो गई है। उन्होंने अमेरिकी टैरिफ को लेकर बयान दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि आत्मनिर्भरता जरूरी है। स्वदेशी चीजों का मतलब विदेशों से संबंध तोड़ना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार चलेगा और किसी दवाब नहीं होगा।
Updated on:
29 Aug 2025 10:50 am
Published on:
29 Aug 2025 06:39 am
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