
टाइटैनिक के पास से पनडूब्बी लापता, अरबपति सहित 5 लोग लापता
Missing Submarine Near Titanic: टाइटैनिक जहाज का डूबना समुद्र की सबसे बड़ी हादसों में एक माना जाता है। 14 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक (Titanic) अटलांटिक महासागर में एक हिमशिला से टकराकर डूब गया था। इस हादसे में 1517 लोगों की मौत हुई थी। इस हादसे के बाद टाइटैनिक की लंबे समय तक तलाश हुई। फिर इसके मलबे को 1985 में समुद्र से करीब चार किलोमीटर भीतर तलाशा गया। अब टाइटैनिक के मलबे (Titanic Wreckage) को देखने के लिए लोग भारी-भरकम खर्च कर वहां तक पनडुब्बी से जाते हैं। बीते दिनों ऐसी ही एक यात्रा पर गई ओशनगेट कंपनी की पनडुब्बी लापता हो गई। टाइटैनिक को देखने गई लापता हुई पनडुब्बी पर पांच यात्री सवार थे। इस लापता पनडुब्बी को खोजने में दुनिया भर की टीम लगी, लेकिन इन पांचों लोगों को बचाया नहीं जा सका। टाइटन पनडुब्बी में सवार सभी 5 लोगों की मौत हो गई है। ओशनगेट कंपनी ने इसकी पुष्टि की है।
लापता पनडुब्बी पर कौन-कौन हैं सवार
टाइटन को देखने पनडुब्बी पर सवार लोगों में ब्रिटिश अरबपति हामिश हार्डिंग, फ्रांसीसी गोताखोर पॉल-हेनरी नार्जियोलेट, पाकिस्तानी बिजनेस टाइकून शहजादा दाऊद और उनका बेटा सुलेमान दाऊद शामिल हैं। इनके अलावा एक पायलट हैं।
इन लोगों की तलाश में बचाव अभियान में दुनिया के कई देश जुटे। टाइटन जहाज की तलाश कर रहे सोनार क्षमताओं वाले एक कनाडाई विमान ने बुधवार को कुछ आवाजें सुनीं, जिससे इन यात्रियों के अभी जीवित होने की संभावना जताई गई। लेकिन 22 -23 जून की रात ओशनगेट कंपनी ने पुष्टि कर दी कि पनडुब्बी में सवार पांचों लोगों को बचाया नहीं जा सका।
(22 जून, पांचों यात्रियों की मौत से पहले )
[typography_font:14pt;" >2.28 करोड़ रुपए खर्च तक टाइटैनिक तक पहुंचते हैं लोग
टाइटैनिक के मलबे तक पहुंचना आसान बात नहीं। यहां तक की यात्रा बड़े पूंजीपूति लोग भी कर पाते हैं। जिस तरह बड़े कारोबारी करोड़ों खर्च तक अंतरिक्ष जाते हैं, वैसे ही टाइटैनिक तक पहुंचने में एक पर्यटक को 2 करोड़ 28 लाख (ढाई लाख डॉलर) से ज्यादा की रकम चुकानी होती है। ये यात्रा न्यूफाउंडलैंड के सैंट जॉन्स से शुरू होती है। टाइटैनिक के मलबे तक पहुंचने और वापस आने की संपूर्ण डुबकी में आठ घंटे तक का समय लगता है।
टाइटैनिक जहां डूबा वहां जाना बेहद खतरनाक
अटलांटिक महासागर में जिस जगह पर टाइटैनिक जहाज डूबा था, वहां के आसपास का जल क्षेत्र बेहद खतरनाक माना जाता है। इसकी पहली वजह तो ये है कि वहां की दुनिया अंधेरी है। दरअसल टाइटैनिक का मलबा अटलांटिक महासागर में चार किलोमीटर नीचे मौजूद है। इस इलाके को 'मिडनाइट ज़ोन' कहते हैं। यहां पनडुब्बी की रोशनी आगे कुछ ही मीटर तक जाती है। ऐसे में ध्यान भटकने का डर बना रहता है।
काफी कीचड़, भीषण ठंडा पानी, हिलती-डूलती रहती है
टाइटैनिक एक्सपर्ट टिम मैटलिन के हवाले से बीबीसी को कहा कि "यहां धूप अंधेरा है, और भीषण ठंडा पानी है। समंदर की सतह पर कीचड़ है और ये हिलती-डुलती रहती है। उन्होंने कहा, "आप उस समय कहां है, ये पता लगाने के लिए आपके पास सिर्फ सोनर नामक चीज़ होती है। यहां तक कि रडार भी काम नहीं करता।"
एक्सपर्ट बोले- टाइटैनिक तक जाने वाली पनडुब्बी की दीवारें मोटी होना जरूरी
एक्सपर्ट का कहना है कि टाइटैनिक तक जाने वाली पनडुब्बी की दीवारें बहुत मोटी होनी चाहिए। अटलांटिक महासागर की गहराइयों में लापता हुई पनडुब्बी टाइटन का पता लगाने के लिए अमरीका से एक खोजी सबमरीन को घटनास्थल पर भेजा जा रहा है। रिमोट से चलाई जा सकने वाली इस सबमरीन को टाइटैनिक तक पहुंचने में 48 घंटों का वक़्त लगेगा।
पैसे वाले लोग रोमांच का अनुभव करने के लिए जाते हैं
टाइटैनिक तक पहुंचना खतरनाक इसलिए भी है कि क्योकिं वहां के पानी का बहाव काफी तेज है। साथ ही 100 साल से पानी में पड़ा टाइटैनिक के मलबे का टूटना, गिरना जारी है। अगर कोई इसके बहुत करीब जाता है तो टकरा सकता है, उलझ सकता है।
पैसे वाले लोग रोमांच का अनुभव करने के लिए यहां तक जाते हैं। यहां तक ले जाने वाली टूर कंपनी पनडूब्बी, जोखिम भरी यात्रा और अन्य खर्चों को जोड़ कर प्रति व्यक्ति 2.28 करोड़ रुपए का चार्ज करती है। अब इस लापता पनडूब्बी में सवार लोगों के बचने की उम्मीद धुंधली होती जा रही है।
यह भी पढ़ें - पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट आज होगा लॉन्च, जानिए क्या है खासियत
Updated on:
27 Jun 2023 11:13 pm
Published on:
22 Jun 2023 03:51 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
