राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, “ये सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी छोटी बीमारियों के मामले में प्रारंभिक उपचार करेंगे और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की अनुपलब्धता की स्थिति में स्थानापन्न करेंगे। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, राज्य जल्द ही नर्सों के इस ‘डॉक्टर प्रशिक्षण कार्यक्रम’ प्रशिक्षण के बारे में विस्तृत जानकारी जारी करेगा। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक नर्सों को तीन सप्ताह के प्रशिक्षण के बाद गांव भेजा जाएगा।
अधिकारी ने कहा, “पूरी परियोजना राज्य सरकार में कार्यरत नर्सों के लिए करियर के विकास के रास्ते खोलने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिमाग की उपज है।” ममता बनर्जी ने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का निर्णय प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टर को देखते हुए लिया। उन्होंने देखा की इन झोलाछाप डॉक्टरों से लोग सेवाएं ले रहै हैं। उनका ममता बनर्जी का कहना है कि यदि ये झोलाछाप डॉक्टर इलाज कर सकते हैं, तो अनुभवी नर्सें क्यों नहीं कर सकती?
हालांकि वे मरीज के नुस्खे नहीं लिख सकते। डेथ सर्टिफिकेट भी नहीं दे सकते। ये केवल सामान्य बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इस नए प्रोजेक्ट के तहत राज्य भर में 704 नर्सों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण अवधि के दौरान, उन्हें 10,000 रुपये का विशेष भत्ता मिलेगा। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें ग्राम स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जाएगा। गांवों में पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।