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चीन का भारी कर्ज चुकाते-चुकाते कंगाल हुआ श्रीलंका!

श्रीलंका आज कंगाली की कगार पर खड़ा है। अनुमान है कि जल्द ही श्रीलंका दिवालिया हो सकता है। चीन से भारी लोन के चलते कोरोना ने भी देश की कमर तोड़ दी। खाने-पीने की वस्तुओं की कीमत आसमान छू रही। रिकॉर्ड स्तर पर महँगाई है। समझिए इसकी पूरी वजह

नई दिल्लीJan 03, 2022 / 05:53 pm

Arsh Verma

sri lanka

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भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका चीन से लिए गए भारी कर्ज की वजह से जल्द ही दिवालिया हो सकता है। श्रीलंका में वित्तीय और मानवीय संकट यानी फाइनेंशियल क्राइसिस (Financial Crisis) की तलवार लहरा रही है। यहां महंगाई रेकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई है, खाद्य पदार्थों की कीमत में बेतहाशा तेजी आई है और सरकारी खजाना तेजी से खाली हो रहा है। इससे आशंका जताई जा रही है कि श्रीलंका इस साल (2022) में दिवालिया (Bankrupt) हो सकता है।
इस वजह से आई ये समस्या:
श्रीलंका के दिवालिया होने के रास्ते पर जाने के कई कारण हैं। कोरोना संकट के कारण देश का टूरिज्म सेक्टर (Tourism Sector) बुरी तरह प्रभावित हुआ था। साथ ही सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और टैक्स में कटौती ने हालात को और बदतर बना दिया। ऊपर से चीन के कर्ज को चुकाते-चुकाते श्रीलंका की कमर टूट गई। देश में विदेशी मुद्रा भंडार एक दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। सरकार को घरेलू लोन और विदेशी बॉन्ड्स (Foreign Bonds) का भुगतान करने के लिए पैसा छापना पड़ रहा है।

चीन से कर्ज लेना पड़ा महंगा:
श्रीलंका के इस हालात के लिए विदेशी कर्ज खासकर चीन से लिया गया कर्ज भी जिम्मेदार है। आपको बता दें कि चीन का श्रीलंका पर 5 अरब डॉलर से अधिक कर्ज है। पिछले साल उसने देश में वित्तीय संकट से उबरने के लिए चीन से और 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। अगले 12 महीनों में देश को घरेलू और विदेशी लोन के भुगतान के लिए करीब 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है। जनवरी में 50 करोड़ डॉलर के इंटरनैशनल सॉवरेन बॉन्ड का भुगतान किया जाना है। नवंबर तक देश में विदेशी मुद्रा का भंडार महज 1.6 अरब डॉलर था।

लाखों लोग हुए बेरोजगार:
वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल के अनुसार, पर्यटन से नौकरियों और महत्वपूर्ण विदेशी राजस्व का नुकसान हुआ है जो आमतौर पर सकल घरेलू उत्पाद का 10% से अधिक योगदान देता है। यात्रा और पर्यटन क्षेत्रों में 200,000 से अधिक लोगों की नौकरी चली गई है। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि पासपोर्ट कार्यालय में लंबी कतारें लग गई हैं क्योंकि चार श्रीलंकाई में से एक कि वे देश छोड़ना चाहते हैं। इनमें से ज्यादातर युवा और शिक्षित है।

बुजुर्गों को 1970 के दशक की शुरुआत की याद आ रही है जब आयात नियंत्रण और घर पर कम उत्पादन के कारण बुनियादी वस्तुओं की भारी कमी हो गई थी। यहां तक कि रोटी, दूध और चावल के लिए लंबी कतारें लग गईं थी। पूर्व केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर डब्ल्यूए विजेवर्धने ने चेतावनी दी कि आम लोगों के संघर्ष से वित्तीय संकट और बढ़ जाएगा, जो बदले में उनके लिए जीवन को कठिन बना देगा।

इस साल हो जाएगा देश दिवालिया:
श्रीलंका में एक विपक्षी सांसद और अर्थशास्त्री हर्षा डी सिल्वा ने हाल ही में संसद को बताया कि अगले साल जनवरी तक विदेशी मुद्रा भंडार 437 मिलियन डॉलर होगा, जबकि फरवरी से अक्टूबर 2022 तक सेवा के लिए कुल विदेशी ऋण 4.8 बिलियन डॉलर होगा जिससे राष्ट्र पूरी तरह से दिवालिया हो जाएगा। सेंट्रल बैंक के गवर्नर अजीत निवार्ड काबराल ने सार्वजनिक आश्वासन दिया कि श्रीलंका अपने ऋणों को चुका सकता है, लेकिन विजेवर्धने ने कहा कि देश को अपने पुनर्भुगतान में चूक करने का पर्याप्त जोखिम था, जिसके विनाशकारी आर्थिक परिणाम होंगे।

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