
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फोटो- AI)
मुस्लिम छात्रों के एक राज्य सरकार ने बड़ी घोषणा कर दी है। नए एलान के तहत, एक राज्य के मुस्लिम समुदाय के छात्र विदेश में पोस्ट ग्रेजुएट का कोर्स कर सकते हैं। इसके लिए सरकार स्कॉलरशिप देगी।
दरअसल, तमिलनाडु सरकार ने मुस्लिम छात्रों के लिए स्नातकोत्तर अध्ययन में सहायता के लिए एक नए विदेशी छात्रवृत्ति कार्यक्रम को मंजूरी दी है। बता दें कि तमिलनाडु में अगले साल यानी कि 2026 में विधानसभा चुनाव है।
ऐसे में एमके स्टालिन की सरकार राज्य की सत्ता में फिर से वापसी करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। वहीं, मुस्लिम छात्रों को विदेश में पीजी कोर्स करने के लिए छात्रवृत्ति देने का नया फैसला विधानसभा चुनाव में 'मास्टर स्ट्रोक' साबित हो सकता है।
पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा जारी एक सरकारी आदेश के अनुसार, विदेश में स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए हर साल दस छात्रों का चयन किया जाएगा, प्रत्येक लाभार्थी को सालाना 36 लाख रुपये तक की राशि प्राप्त होगी।
वक्फ बोर्ड के माध्यम से क्रियान्वित की जाने वाली इस योजना को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 3.60 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है।
अधिकारियों ने बताया कि यह योजना केंद्र के 'पढ़ो परदेश' कार्यक्रम द्वारा पैदा हुई खाई को पाटने के लिए शुरू की जा रही है। यह कार्यक्रम विदेश में पढ़ाई के लिए सब्सिडी वाले शिक्षा ऋण प्रदान करता था, लेकिन दिसंबर 2022 में इसे बंद कर दिया गया था।
विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक अल्पसंख्यक छात्रों के लिए सीमित वित्तीय विकल्प उपलब्ध होने के कारण, तमिलनाडु सरकार ने कहा कि यह नई योजना मुस्लिम समुदाय की शैक्षिक और आर्थिक स्थिति दोनों को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई है।
इस छात्रवृत्ति से प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए ट्यूशन फीस, रहने का खर्च, यात्रा और अन्य शैक्षणिक खर्चों को कवर करने की उम्मीद है।
अधिकारियों ने कहा कि इस स्तर की सहायता प्रदान करके, सरकार का उद्देश्य न केवल अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना है, बल्कि छात्रों को ऐसे कौशल और अनुभव से भी लैस करना है जो उनके लौटने पर राज्य के आर्थिक विकास में योगदान दे सकें।
Published on:
07 Sept 2025 10:09 am
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