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Supreme Court: ‘पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा दूर करे सीबीआई’, जांच एजेंसी पर जस्टिस भुइंया की तीखी टिप्पणी

Supreme Court: जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताया, जबकि जस्टिस उज्ज्वल ने टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा, गिरफ्तारी सिर्फ इसलिए की गई, ताकि ईडी के मामले में जमानत को विफल किया जा सके।

नई दिल्लीSep 14, 2024 / 10:21 am

Shaitan Prajapat

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आबकारी घोटाले से जुड़े सीबीआई के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी। सीबीआई की गिरफ्तारी सही थी या नहीं, इस पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने अलग-अलग राय रखी। जस्टिस सूर्यकांत ने गिरफ्तारी को सही बताया, जबकि जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘गिरफ्तारी सिर्फ इसलिए की गई, ताकि ईडी के मामले में जमानत को विफल किया जा सके। देश की प्रमुख जांच एजेंसी होने के नाते सीबाआई को मनमानी तरीके से गिरफ्तारियां नहीं करनी चाहिए। सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए। दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है।’

दूसरे केस में भी बेल, 103 दिन बाद जेल से छूटे केजरीवाल

जस्टिस भुइयां ने कहा, सीबीआई ने 22 महीने तक याचिकाकर्ता (केजरीवाल) को गिरफ्तार करने की जरूरत महसूस नहीं की। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि जब वह ईडी मामले में रिहा होने वाले थे तो उन्हें गिरफ्तार करने की इतनी तत्परता क्यों थी? जब पीएमएलए के कड़े प्रावधानों के तहत जमानत मिल चुकी है तो उसी अपराध के लिए आगे की हिरासत पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि अभियुक्त तब तक निर्दोष होता है, जब तक सक्षम अदालत उसे दोषी साबित नहीं कर देती। सभी स्तरों पर अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रायल से पहले की प्रक्रिया स्वयं सजा न बन जाए। किसी व्यक्ति को लंबे समय तक जेल में रखना न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ है। केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून, 2024 को गिरफ्तार किया था। तब वह ईडी के मामले में हिरासत में थे। इस मामले में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन सीबीआई मामले में गिरफ्तारी से वह जेल से बाहर नहीं आ पाए थे।

रिहाई के बाद भी ‘बंधे’ रहेंगे सीएम के हाथ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई मामले में केजरीवाल को उन्हीं शर्तों पर जमानत दी जा रही है, जो ईडी मामले में जमानत पर लगाई गई थीं। यानी न तो वह सीएम दफ्तर और दिल्ली सचिवालय जा सकेंगे, न आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकेंगे। जस्टिस भुइयां ने इन शर्तों पर गंभीर आपत्ति जताई, लेकिन न्यायिक औचित्य और अनुशासन के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए आगे कुछ कहने से इनकार कर दिया।
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सिंघवी की दलीलों ने खोला जेल का द्वार

केजरीवाल पिछले 35 दिन में ऐसे चौथे नेता हैं, जो आबकारी घोटाले मामले में जेल से छूटे हैं। मनीष सिसोदिया, के. कविता, विजय नायर पहले से जमानत पर हैं। आप नेताओं को राहत दिलाने में उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी की मजूबत दलीलों की बड़ी भूमिका रही, जिनके आगे जमानत का विरोध कर रही सीबीआइ की दलीलें टिक नहीं पाईं। सिंघवी की एक दलील यह थी कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआइ तब सक्रिय हुई, जब उन्हें लोअर कोर्ट से जमानत मिली और हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाई। इसके बाद सीबीआइ जेल से केजरीवाल को कोर्ट लाई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
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रिहाई पर हुंकार, ‘जेल की सलाखें मुझे कमजोर न कर पाईं, हौसला 100 गुना बढ़ा’

ट्रायल कोर्ट से रिहाई का आदेश मिलने के बाद केजरीवाल को देर शाम तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से बाहर निकलने के बाद उन्होंने समर्थकों से कहा, भगवान ने मेरा साथ दिया। मैं सही था, इसलिए बाहर आया। जेल की सलाखें मुझे कमजोर नहीं कर पाईं। मेरा हौसला 100 गुना बढ़ गया है। मेरे खून का कतरा-कतरा देश के लिए है। बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में आप नेता और कार्यकर्ता जेल के बाहर जमा थे। उन्होंने पटाखे फोडक़र जश्न मनाया। आप नेता मनीष सिसेदिया, संजय सिंह के साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान भी जेल के बाहर मौजूद थे।

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