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सुप्रीम कोर्ट ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम पर जताई चिंता’, केंद्र और सीबीआइ से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर चिंता जताते हुए स्वत: संज्ञान लिया है और केंद्र और सीबीआइ से जवाब मांगा है। जानिए, आखिर सुप्रीम कोर्ट को क्यूं उठाना पड़ा बड़ा कदम...

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सुप्रीम कोर्ट, PC- IANS

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को देश भर में बढ़ रहे 'डिजिटल अरेस्ट' घोटालों पर 'गंभीर चिंता' व्यक्त करते हुए इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस संगठित अपराध पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार और सीबीआइ (CBI) से जवाब मांगा है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने हरियाणा के अंबाला की एक सत्तर वर्षीय महिला की शिकायत मिलने के बाद यह कार्रवाई शुरू की।

धोखाधड़ी में सुप्रीम कोर्ट के जाली आदेश

शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया कि धोखाधड़ी करने वालों ने खुद को सीबीआइ अधिकारी और न्यायिक अधिकारी बताते हुए, सुप्रीम कोर्ट के जाली आदेशों का इस्तेमाल करके उसे 1 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया। कोर्ट इस बात से स्तब्ध रह गया कि धोखेबाजों ने न्यायिक आदेशों की जालसाजी की, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बैंक खातों तक पहुंच को अवरुद्ध करने का एक आदेश भी शामिल था। इस जाली आदेश में एक न्यायाधीश के जाली हस्ताक्षर और मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) के एक अधिकारी की मुहर भी लगी हुई थी।

न्यायपालिका पर सीधा हमला

पीठ ने स्पष्ट किया कि दस्तावेजों की जालसाजी और इस अदालत या किसी भी उच्च न्यायालय के नाम, मुहर और न्यायिक अधिकार का खुल्लमखुल्ला आपराधिक दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट ने कहा कि जाली हस्ताक्षरों वाले न्यायिक आदेशों की जालसाजी न्यायपालिका में सार्वजनिक विश्वास और कानून के शासन की नींव पर सीधा हमला है, और इसे साइबर अपराध के सामान्य मामलों के समान नहीं माना जा सकता।

पूरे भारत में समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता

अदालत ने केंद्र सरकार, सीबीआइ और अंबाला साइबर क्राइम सेल के पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा है। इसके अलावा, कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से भी ऐसे अपराधों के कार्यप्रणाली की जांच में कोर्ट की सहायता करने का अनुरोध किया है।