
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों-विश्वविद्यालयों आदि उच्च शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं और उनकी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर चिंता प्रकट की है। इन समस्याओं से निपटने के मौजूदा तंत्र को अपर्याप्त मानते हुए और सुसाइड की घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने ही रिटायर्ड जस्टिस एस.रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित करने के निर्देश दिए।
टास्क फोर्स चार माह में अंतरिम रिपोर्ट और उसके बाद आठ माह में अंतिम रिपोर्ट देगी। इसमें नौ सदस्य मनोविज्ञान, स्वास्थ्य, शिक्षा व प्रशासन से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हैं जिनके नाम भी कोर्ट ने तय कर दिए। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर.महादेवन की बेंच ने दिल्ली आईआईटी के दो छात्रों के परिजनों की ओर से दायर याचिका पर यह निर्देश दिए।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि दोनों छात्रों ने जातीय भेदभाव और शैक्षणिक दबाव के कारण आत्महत्या कर ली थी। उनके बच्चों को संस्थागत उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसे अधिकारियों ने अनदेखा कर दिया। बेंच ने इस मामले की जांच के निर्देश दिए।
बेंच ने कहा कि आत्महत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में संस्थान का यह स्पष्ट कर्तव्य है कि वह तत्काल एफआईआर दर्ज कराए। प्रत्येक संस्थान में संवेदनशीलता और सक्रिय हस्तक्षेप की संस्कृति होनी चाहिए ताकि प्रत्येक छात्र बिना किसी डर या भेदभाव के अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सुरक्षित, समर्थित और सशक्त महसूस करे।
बेंच ने कहा कि टास्क फोर्स राज्यों में शिक्षण संस्थाओं के दौरे कर छात्रों-अभिभावकों सहित सभी हितधारकों से जरूरी सुझाव लेगी। राज्य सरकारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि हर राज्य में संयुक्त सचिव स्तर का नोडल अधिकारी तय करे जो टास्क फोर्स के दौरे और जरूरी इनपुट व जानकारी देने में सहयोग करे।
| साल | मामले |
| 2021 | 13089 |
| 2022 | 13044 |
| महाराष्ट्र | 14% |
| तमिलनाडु | 11% |
| मध्यप्रदेश | 10% |
| उत्तर प्रदेश | 8% |
| छत्तीसगढ़ | 5% |
| राजस्थान | 4% |
-आत्महत्या के पीछे रैगिंग, जाति या लिंग आधारित भेदभाव, यौन उत्पीड़न, शैक्षणिक दबाव, वित्तीय तनाव आदि कारणों की पहचान करना।
- छात्र कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मौजूदा नीतियों की समीक्षा करना।
- एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून और अन्य कानूनों को मजबूत करने के लिए सुझाव
- छात्र सहायता तंत्र का आकलन करने के लिए विश्वविद्यालयों में औचक निरीक्षण करना।
- उच्च शिक्षा संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर राष्ट्रीय कार्य योजना विकसित करना।
Published on:
25 Mar 2025 09:34 am
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
