9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हमें चिंता है कि सारे नेता यहां चले आ रहे हैं, CJI ने भरी अदालत में क्यों कहा ऐसा?

सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल में चल रही एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने हिंसा की स्थिति का हवाला दिया और चुनाव आयोग से बीएलओ की सुरक्षा की मांग की।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Mukul Kumar

Dec 09, 2025

Justice Surya Kant, CJI of India

नए चीफ जस्टिस सूर्यकांत। (फोटो- विकिपीडिया/पत्रिका.कॉम)

सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि हमने हिंसा की स्थिति को चुनौती दी है। बीएलओ की सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी होगी।

इस मामले में सुनवाई करते हुए मंगलवार को चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें चिंता है कि सभी राजनेता यहां चले आ रहे हैं, उन्हें लगता है कि यह मंच उन्हें हाईलाइट कर सकता है। इस मामले में नोटिस जारी करें।

एक एफआईआर के अलावा और कुछ नहीं- जज

वहीं, जज बागची ने सुनवाई करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में एक प्राथमिकी के अलावा आप लोगों के पास कोई उदाहरण नहीं है। केवल ऐतिहासिक संदर्भों का जिक्र है, चुनाव के पास इस मामले में सिर्फ एक एफआईआर है, उसके अलावा कोई एफआईआर नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा- पश्चिम बंगाल में पुलिस राज्य सरकार के हाथ में है फिर भी घटनाएं हो रही हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा- बीएलओ को बचाने का काम आपका या केंद्र का होना चाहिए।

चुनाव आयोग ने क्या दिया जवाब?

इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा- बीएलओ को बचाने के लिए राज्य को को-ऑपरेट करना होगा और हमें सुरक्षा देनी होगी। राज्य को हम पर भरोसा करना होगा, नहीं तो हमें सेंट्रल फोर्स बुलानी पड़ेगी।

इस दौरान, जज बागची ने पूछा कि कुछ लोगों का कहना है कि चुनाव आयोग ने बीएलओ का काम इतना बढ़ा दिया है कि उन पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है। इस पर आयोग की ओर से पेश हुए वकील ने कहा- कोर्ट में भी बहुत सारी राजनीतिक बातें चल रही हैं।

बीएलओ के काम के बारे में कोर्ट को समझाया गया

चुनाव आयोग ने अदालत को बीएलओ के काम के बोझ को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा- एक बीएलओ को एवरेज 37 वोटर्स को देखना होता है, अगर कोई एक टोले में जाता है, तो उसे सिर्फ 7-8 घरों को ही चुनना होता है।

वहीं, चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें यकीन नहीं हो रहा कि कोई आइसोलेशन वाली घटना हुई है। अगर पश्चिम बंगाल में बीएलओ को सिक्योरिटी नहीं मिली तो यह एक सीरियस मामला बन जाएगा।

चुनाव आयोग को चीफ जस्टिस ने आदेश देते हुए कहा कि इस पर जल्द कार्रवाई करें। साथ ही सीजेआई ने यह भी साफ किया कि SIR (बीएलओ पर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं में दिए गए निर्देश पूरे भारत में लागू होंगे।