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कैंसर को राष्ट्रीय बीमारी घोषित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्य सरकारों को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने कैंसर को देशभर में अधिसूचित बीमारी घोषित करने की मांग वाली PIL पर केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा है।

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भारत

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Devika Chatraj

Dec 13, 2025

सुप्रीम कोर्ट (ANI/X)

सुप्रीम कोर्ट ने कैंसर को पूरे देश में अधिसूचित (नोटिफायबल) बीमारी घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर बड़ा कदम उठाया है। चीफ जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में कैंसर प्रबंधन की गंभीर खामियों को गंभीरता से लिया है।

एम्स के रिटायर्ड डॉक्टर ने दर्ज की याचिका

याचिका एम्स के सेवानिवृत्त कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने दायर की है। उनके वकील गौरव कुमार बंसल ने कोर्ट को बताया कि देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 17 ने ही कैंसर को अधिसूचित बीमारी घोषित किया है। इससे देश में एक असमान 'पैचवर्क सिस्टम' बन गया है, जिसके कारण अधिकांश आबादी अनिवार्य कैंसर रिपोर्टिंग के लाभ से वंचित है।

90% आबादी कैंसर निगरानी से बाहर

याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (NCRP) गंभीर अंडर-रिपोर्टिंग का शिकार है। वर्तमान में यह कार्यक्रम भारतीय आबादी के केवल करीब 10% हिस्से को ही कवर करता है, यानी देश की लगभग 90% आबादी किसी व्यवस्थित कैंसर डेटा संग्रह से बाहर है। इससे कैंसर के वास्तविक बोझ को कम आंका जा रहा है, जिससे नीति निर्माण, संसाधन आवंटन और स्क्रीनिंग कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं।

गलत सूचनाओं का बढ़ता खतरा

याचिका में कैंसर के इलाज को लेकर फैल रही गलत सूचनाओं पर भी चिंता जताई गई है। गोमूत्र जैसे अवैज्ञानिक उपचारों के प्रचार का जिक्र करते हुए कहा गया कि राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ से प्राप्त आरटीआई जवाब में ऐसे दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिला। अनिवार्य रिपोर्टिंग न होने से ऐसे मामलों का सही रिकॉर्ड नहीं बन पाता और मरीज अक्सर उन्नत अवस्था में ही प्रमाणित इलाज तक पहुंचते हैं।

कोर्ट से क्या मांगा गया?

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कैंसर को देशभर में अधिसूचित बीमारी घोषित करने के साथ-साथ एक एकीकृत, रीयल-टाइम डिजिटल कैंसर रजिस्ट्री (कोविन जैसी) स्थापित करने के व्यापक निर्देश जारी किए जाएं। इससे प्रभावी निगरानी, प्रारंभिक पहचान और वैज्ञानिक नीति निर्माण संभव हो सकेगा। मामले की अगली सुनवाई जवाब दाखिल होने के बाद होगी। यह कदम भारत में बढ़ते कैंसर बोझ को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां 2025 तक कैंसर मामलों में 12.8% की वृद्धि का अनुमान है।