
देश की उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को पदोन्नति (Promotion) में आरक्षण (Reservation) देने के मुद्दे पर शुक्रवार (28 फरवरी) को अपना फैसला सुनाने वाला है। जस्टिस एल नागेश्वर राव (L. Nageswara Rao) की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने विषय में महान्यायवादी (अटार्नी जनरल) के के वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह और विभिन्न राज्यों की ओर से पेश हुए अन्य वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुना है।
केंद्र ने पीठ से कहा था कि यह सत्य है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी एससी-एसटी समुदाय के लोगों को अगड़े वर्गों के समान मेधा के स्तर पर नहीं लाया गया है। पीठ ने इस मामले पर सुनवाई पूरी करते हुए 26 अक्टूबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी थी एससी और एसटी समुदाय के लोगों के लिए ग्रुप 'ए' श्रेणी की नौकरियों में उच्चतर पद हासिल करना कहीं अधिक मुश्किल है और वक्त आ गया है कि रिक्तियों को भरने के लिए शीर्ष न्यायालय को एससी, एसटी तथा ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के वास्ते कुछ ठोस आधार देना चाहिए।
आपको बता दें कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह एससी और एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने के अपने फैसले को फिर से नहीं खोलेगा क्योंकि यह राज्यों को तय करना है कि वे इसे कैसे लागू करते हैं।
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Updated on:
28 Jan 2022 07:28 am
Published on:
27 Jan 2022 10:57 pm
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