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POCSO केस में चर्चित स्वामी सबूतों के अभाव में बरी, दो नाबालिग लड़कियों ने लगाया था यौन उत्पीड़न का आरोप

कर्नाटक के चित्रदुर्ग के द्वितीय अतिरिक्त जिला एंव सत्र न्यायालय ने लिंगायत समुदाय के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। उन पर दो नाबालिग लड़कियों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।

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Mahant Shivamurthy Murugha Sharanaru

महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू (फोटो-IANS)

कर्नाटक के श्री मरुघा मठ के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू को कोर्ट ने POCSO के एक मामले में बरी कर दिया है। कोर्ट ने लिंगायत समुदाय के स्वामी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। चित्रदुर्ग के द्वितीय अतिरिक्त जिला एंव सत्र न्यायालय के जज गंगाधरप्पा चन्नबसप्पा हडपद ने बुधवार को फैसला सुनाया। अदालत में इस मामले की सुनवाई 18 नवंबर को पूरी हो गई थी, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। उनके खिलाफ दूसरा केस अभी भी हाईकोर्ट में लंबित है।

शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू में बुधवार को कोर्ट में पेश हुए। फैसला सुनाए जाने के बाद वह कोर्ट परिसर से चले गए। शरणारू ने मीडिया को सवालों के जवाब देने से भी मना कर दिया। शरणारू के बरी होने के बाद उनके समर्थकों ने कहा कि हमें हमेशा शरणारू पर पूरा भरोसा था। जब कोई आरोप लगता है, तो हमें फैसले का इंतजार करना पड़ता है। शरणारू संत पर हमारा भरोसा बढ़ गया है। वह गंगा की तरह पवित्र हैं।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू के खिलाफ 26 अगस्त 2022 को पॉक्सो के तहत केस दर्ज किया गया था। शरणारू के मठ से जुड़ी दो नाबालिग लड़कियों ने उनके खिलाफ मैसूर के नजरबाद पुलिस स्टेशन में यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद मामले को चित्रदुर्ग ग्रामीण थाने में ट्रांसफर कर दिया गया। पुलिस ने शरणारू को 1 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार कर लिया। स्वामी शरणारू करीब 14 महीने जेल में रहे। 27 अक्टूबर, 2022 को फाइल की गई चार्जशीट से दो नाम हटा दिए गए, जिसमें इन्वेस्टिगेटर ने FIR में दम न होने का हवाला दिया।

एक केस अभी भी है पेंडिंग

वहीं, मठ के रसोइए की शिकायत पर 13 अक्टूबर, 2022 को सेक्सुअल हैरेसमेंट का एक अलग केस अभी भी पेंडिंग है। उस केस में रसोइए ने शरणारू पर हॉस्टल में रहने वाली अपनी दो नाबालिग बेटियों का सेक्सुअल अब्यूज करने का आरोप लगाया था। FIR में मठ के स्टाफ समेत सात लोगों के नाम थे। मामले की जांच अभी भी चल रही है।

चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट ने फैसले पर जताई चिंता

ओडानाडी सेवा संस्था से जुड़े चाइल्ड-राइट्स एक्टिविस्ट ने फैसले पर चिंता जताई। एक्टिविस्ट एम.एल. परशुराम ने कहा कि इन्वेस्टिगेटर्स ने कई गलतियां कीं। जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा नहीं किए गए। हमारे खिलाफ सिर्फ इसलिए कॉन्सपिरेसी का केस फाइल किया गया क्योंकि हमने गलतियों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने आगे कहा कि वह पूरा जजमेंट पढ़ने के बाद ही आगे कोई कमेंट करेंगे।

एक और एक्टिविस्ट, के.वी. स्टेनली ने कहा कि राज्य को केस आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार जजमेंट को चैलेंज करने में फेल रहती है, तो हम खुद अपील फाइल करेंगे। सिस्टम आरोपियों के साथ खड़ा था। कोई भी बच्चों के साथ नहीं खड़ा था। जांच के दौरान सैकड़ों गलतियां हुईं।

महंत के वकील ने क्या कहा…

महंत के वकील, के.बी. स्वामी ने कहा कि कोर्ट ने महंत और दो अन्य को उनके खिलाफ रजिस्टर्ड पहले केस में बेगुनाह पाया था। फैसले के बाद, मुरुघा शरण ने रिपोर्टर्स से कहा कि मुझे कुछ और दिनों तक चुप रहना होगा। बोलने का समय दूर नहीं है, और मैं एक फॉर्मल प्रेस मीट बुलाऊंगा और आपके सामने सारी डिटेल्स रखूंगा।” जर्नलिस्ट्स के हर सवाल का उन्होंने जवाब दिया, “नो कमेंट्स।