
उमर खालिद और शरजील इमाम (Photo-IANS)
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए उमर खालिद, शरजील इमाम और तीन अन्य की रिहाई का कड़ा विरोध किया है। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी दाखिल किया। पुलिस ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप का ज़िक्र करते हुए रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री और चैट से संकेत मिलता है कि साजिश पहले से ही रची गई थी और इसे पूरे भारत में दोहराने और अंजाम देने की कोशिश की जा रही थी।
पुलिस ने हलफनामे में कहा कि फरवरी 2020 में हुई हिंसा CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का अचानक नहीं हुई, बल्कि नागरिक असंतोष की आड़ में चलाए गए एक सुनियोजित "सत्ता परिवर्तन अभियान" का हिस्सा थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान सांप्रदायिक तनाव भड़काना था, ताकि अशांति का "अंतर्राष्ट्रीयकरण" किया जा सके और भारत सरकार को भेदभावपूर्ण सरकार के रूप में पेश किया जा सके।
मंगलवार को उमर खालिद के वकील ने दिल्ली की एक अदालत में दलील दी कि 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में खालिद को किसी भी तरह का अपराधी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने दलील दी कि खालिद द्वारा किसी भी आपराधिक कृत्य का कोई सबूत नहीं है और इस बात पर ज़ोर दिया कि सिर्फ़ एक व्हाट्सएप ग्रुप की सदस्यता लेना कोई अपराध नहीं है, खासकर तब जब खालिद ने उस ग्रुप में कोई संदेश नहीं भेजा था।
बता दें कि दिल्ली पुलिस की दलील जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ द्वारा प्रवर्तन एजेंसी से यह विचार करने को कहे जाने के दो दिन बाद आई है कि क्या आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है, जिनमें से कई ने विचाराधीन कैदियों के रूप में लगभग पांच साल न्यायिक हिरासत में बिताए हैं।
सोमवार को पीठ ने टिप्पणी की- देखिए, क्या आप कुछ सोच सकते हैं। पांच साल पहले ही पूरे हो चुके हैं," जिससे संकेत मिलता है कि मुकदमे में ठोस प्रगति के बिना लंबे समय तक कारावास अस्थायी रिहाई के पक्ष में हो सकता है।
अभियुक्तों उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान का कहना है कि वे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे थे और "बड़ी साजिश" का मामला असहमति को आपराधिक बनाने की कोशिश है। उनका तर्क है कि बिना मुकदमे के अनिश्चितकालीन कारावास, दोषसिद्धि से पहले की सज़ा के समान है।
उमर खालिद के वकील ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत में दलील दी कि 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में खालिद को किसी भी तरह का अपराध नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने दलील दी कि खालिद द्वारा किसी भी आपराधिक कृत्य का कोई सबूत नहीं है, और इस बात पर ज़ोर दिया कि सिर्फ़ एक व्हाट्सएप ग्रुप की सदस्यता लेना कोई अपराध नहीं है, खासकर तब जब खालिद ने उस ग्रुप में कोई संदेश नहीं भेजा था।
Updated on:
25 Nov 2025 10:00 pm
Published on:
30 Oct 2025 04:41 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
