मनोचिकित्सक नियति धवन के अनुसार शैक्षणिक दबाव छात्र के अच्छे प्रदर्शन के लिए बाधक है। प्रत्येक व्यक्ति अलग है, कुछ छात्र शैक्षणिक तनाव का अच्छी तरह से सामना कर लेते हैं। लेकिन कुछ छात्र ऐसा नहीं कर पाते, जिसका असर उनके स्वभाव पर पड़ रहा है। वे माता-पिता के साथ उग्र होने लगते हैं। ऐसे केस अब सामने आने लगे हैं। ऐसे में वो अत्यधिक या कम खाने लगते हैं या जंक फूड खाने लगते हैं। असमर्थता को लेकर उदास छात्र तनाव से ग्रसित होने के साथ ही पढ़ाई भी बीच में छोड़ देते हैं। बदतर मामलों में, तनाव से प्रभावित छात्र आत्महत्या का विचार भी मन में लाने लगते हैं। आज अभिभावक और शिक्षक दोनों ही बच्चों को लेकर बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी हो गए हैं। स्कूल में अच्छे प्रदर्शन और पढ़ाई के तनाव के साथ-साथ घर में भी उन पर ऐसा ही दबाव रहता है। कई बार इस दबाव में बच्चे मानसिक तौर पर टूट जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार सिर्फ दिल्ली में ही प्रतिमाह चार से ज्यादा बच्चे ऐसे तनाव के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। इसमें एक बड़ी वजह स्कूल और परिवार का दबाव भी है।