
देश में आए दिन किसी न किसी राज्य में विधायक या फिर केंद्र में सांसद के वेतन-भत्ते की बढ़ोतरी की चर्चा होती रहती है। सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मिले न मिले लेकिन जन प्रतिनिधियों ने अपने लिए पेंशन का फुल इंतजाम कर रखा है। कई सांसद-विधायक तो इसी गुणा गणित में उलझे रहते हैं। कोई ऐसा सांसद-विधायक नहीं हुआ जिसने कि वेतन-भत्ते लेने से इंकार किया हो।
पहली बार आंध्रप्रदेश में अभिनेता से राजनेता बने और उप मुख्यमंत्री पद पर बैठे पवन कल्याण ने प्रदेश की आर्थिक हालत को देखते हुए किसी प्रकार का वेतन और उसके साथ मिलने वाला भत्ता लेने से मना कर दिया है। इसके साथ ही अपने कार्यालय के लिए किसी प्रकार का फर्नीचर और अन्य कोई भत्ता भी नहीं लेंगे।
उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण से उनके कैंप कार्यालय का नवीनीकरण करने के लिए पूछा गया तो उसके मना कर दिया। इतना ही नहीं फर्नीचर की खरीद पर भी रोक लगा दी। उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने बताया कि अधिकारी आए थे तो मैनें कह दिया जरूरत नहीं है और अगर पड़ी तो मैं खुद ले आऊंगा।
पवन कल्याण ने बताया कि पिछले तीन दिन में सदन में उपस्थित रहा। इस बाबत सदन सचिवालय के अधिकारी वेतन और भत्ते के बिल पर हस्ताक्षर कराने आए। तीन दिन का यह बिल करीब 35 हजार रुपए का था तो मैने साफ इंकार कर दिया। यह भी कहा कि पंचायत राज विभाग के पास पर्याप्त धन ऐसे में मैं यह नहीं कर सकता हूं। पवन इस समय प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और पंचायती राज विभाग के मंत्री हैं।
Published on:
02 Jul 2024 06:51 am
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