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क्लाइमेट चैंज से निपटने में कमजोर देशों की मदद में तेजी की दरकारः सुनक

- शिखर सम्मेलन में ग्रीन एनर्जी फंड को दो अरब डॉलर योगदान की घोषणा

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क्लाइमेट चैंज से निपटने में कमजोर देशों की मदद में तेजी की दरकारः सुनक

क्लाइमेट चैंज से निपटने में कमजोर देशों की मदद में तेजी की दरकारः सुनक

नई दिल्ली। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन रविवार को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) में दो बिलियन डॉलर के योगदान की घोषणा की। यह ग्रीन क्लाइमेट फंड में अब तक का सबसे बड़ा वित्तीय योगदान है।

सुनक ने शिखर सम्मेलन में कहा कि ब्रिटेन कार्बन उत्सर्जन की मात्रा कम करने वाले माध्यम अपनाने और जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने के लिए दुनिया के कमजोर देशों की मदद में तेजी लाए जाने की दरकार है। दुनिया जी-20 की तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने वैश्विक नेताओं से इस साल दिसंबर में प्रस्तावित सीओपी-28 शिखर सम्मेलन से पहले देशों के कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने के लिए कमजोर अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।

सुनक की घोषणा के बाद ब्रिटिश उच्चायोग की ओर से बताया गया कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यह ब्रिटेन की अब तक की सबसे बड़ी फंडिंग है। यह वित्तीय मदद साल 2022-23 के योगदान से 12.7 प्रतिशत ज्यादा और 2014 की शुरुआती फंडिग से दोगुनी है। उल्लेखनीय है कि जीसीएफ दुनिया के 194 देशों ने कोपनहेगन शिखर सम्मेलन में स्थापित किया था, ताकि क्लाईमेट चैंज के कुप्रभावों से निपटने में कमजोर देशों की मदद की जा सके।

हरित जलवायु का ब्रिटेन कर रहा नेतृत्व

उच्चायोग के ने कहा कि ब्रिटेन ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से निपटने में मदद के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व किया है। वर्ष 2021 और 2026 के बीच ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त पर 11.6 बिलियन पाउंड खर्च करेगा। साल 2011 के बाद से ब्रिटेन ने किसी भी अन्य जी-7 देश की तुलना में उत्सर्जन में तेजी से कटौती की है। आज वहां आधी से ज्यादा बिजली कम कार्बन स्रोतों से बन रही है। इस साल के पहले तीन महीनों में नवीकरणीय ऊर्जा से रिकॉर्ड 47.84 फीसदी बिजली पैदा हुई है।