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कोई तो ‘शक्ति’ है, जिसके इशारे पर बनती-बिगड़ती है सृष्टि, दो फ्रांसीसी गणितज्ञों की किताब ने छेड़ी विज्ञान व ईश्वर पर बहस

2021 में फ्रांस में प्रकाशित इस किताब की चार लाख प्रतियां बिक चुकी हैं। ब्रिटेन और अमरीका में जल्द रिलीज होने जा रही है। सवाल यह है कि क्या 21वीं सदी का विज्ञान उस ‘एक तत्व’ की ओर इशारा कर रहा है, जिसकी चर्चा ऋषि-मुनियों ने सहस्राब्दियों पहले कर दी थी?

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भारत

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Siddharth Rai

Oct 06, 2025

फ्रांस के दो गणितज्ञों का दावा है कि विज्ञान अब ईश्वर के पक्ष में सबूत दे रहा है (photo - AI)

सदियों से यह सवाल पूछा जाता रहा है, क्या ईश्वर का अस्तित्व वजूद है? विज्ञान को अक्सर आस्था के खिलाफ खड़ा किया गया, लेकिन फ्रांस के दो गणितज्ञों का दावा है कि विज्ञान अब ईश्वर के पक्ष में सबूत दे रहा है। गणितज्ञ ओलिवियर बोन्नासीस (59) और मिशेल-इव बॉलोरे (79) की किताब 'गॉड, द साइंस, द एविडेंस: द डान आफ ए रेवलूशन' (विज्ञान, साक्ष्य: एक क्रांति की शुरुआत) का तर्क है कि बिग बैंग, स्पेस-टाइम और ब्रह्मांड के बेहद सटीक पैरामीटर ईश्वर, किसी परम सत्ता या शक्ति की उपस्थिति का संकेत देते हैं।

2021 में फ्रांस में प्रकाशित इस किताब की चार लाख प्रतियां बिक चुकी हैं। ब्रिटेन और अमरीका में जल्द रिलीज होने जा रही है। सवाल यह है कि क्या 21वीं सदी का विज्ञान उस ‘एक तत्व’ की ओर इशारा कर रहा है, जिसकी चर्चा ऋषि-मुनियों ने सहस्राब्दियों पहले कर दी थी?

विज्ञान है ‘भगवान का सहयोगी’

लेखकों के मुताबिक विज्ञान ‘भगवान का सहयोगी’ है, तीन वैज्ञानिक निष्कर्ष इस तर्क की नींव हैं: 1. हम 'स्पेस-टाइम' में जीते हैं, जहां समय, स्थान और पदार्थ गहरे जुड़े हैं। 2. इसका एक आरंभ है। 3. ब्रह्मांड इतनी बारीकी से संतुलित है कि जीवन की संभावना मात्र एक दिव्य संयोग से संभव नहीं लगती।

हमारे यहां विज्ञान और अध्यात्म साथ-साथ

उपनिषदों में हजारों साल पहले ही ‘ब्रह्म’ को उस परम सत्ता के रूप में बताया गया था, जिससे सबकुछ उत्पन्न होता है। वेदांत दर्शन कहता है, 'यतो वा इमानि भूतानि जायन्ते' अर्थात् जिससे यह सृष्टि उत्पन्न हुई, उसी में विलीन होगी। आदि शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत और आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद तक यह मानते रहे कि विज्ञान और अध्यात्म विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं।

बिग बैंग को वैज्ञानिक सृष्टि का प्रारंभ मानते हैं, भारतीय चिंतन में सृष्टि और प्रलय का यह चक्र निरंतर चलता रहता है। ऋग्वेद का 'नासदीय सूक्त सृष्टि की उत्पत्ति पर कहता है, 'नासदासीन्नो सदासीत्तदानीम्' यानी तब न सत था, न असत, केवल ‘एक’ था।