
हिंदू धर्म के अनुयायियों में तिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर काफी आस्थ है। यहां देश विदेश से भगवान श्री बालाजी के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में प्रसाद के तौर पर मिलने वाले लड्डू भी पूरे देश में प्रसिद्ध है। कहते हैं कि ऐसे स्वाद के लड्डू कही नहीं मिलते। लेकिन अब इन्हीं लड्डूओं को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल भक्तों को मिलने वाले इन लड्डुओं को बनाने में बेसन, शुद्ध घी, चीनी और काजू-किशमिश का प्रयोग किया जाता हैं।
अब तक इन लड्डुओं को बनाने में नंदिनी घी का प्रयोग होता था। लेकिन अब ये घी मंदिर को नहीं दिया जा रहा है। घी की सप्लाई करने वाली कंपनी ने बालाजी मंदिर में घी देने से मना कर दिया है।
घी के दाम को लेकर चल रहा है विवाद
लड्डूओं को बनाने में पिछले 50 सालों से KMF के घी का ही उपयोग होता हुआ आया है। इसकी सप्लाई कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) करती है। कंपनी का कहना है कि घी की कीमत काफी बढ़ गई है और मंदिर हर 6 महीने पर टेंडर निकालता है। टेंडर में सभी कंपनियां भाग लेती हैं जो भी सबसे कम कीमत में घी देने को तैयार हो जाता है उसे टेंडर दे दिया जाता है। अब इतनी महंगाई में सबसे कम कीमत में घी देना हमारे लिए बहुत ही नुकसान का सौदा साबित हो रहा था।
डेढ़ साल पहले खत्म हो गया था समझौता
कंपनी ने बयान जारी कर बताया कि मंदिर प्रशासन के साथ उनका समझौता डेढ़ साल पहले ही खत्म हो गया था। आखिरी सप्लाई हमने साल 2021-22 में की थी। उस वक्त टेंडर हमें 400 रुपए प्रति किलो घी देने के एवज में मिला था। जिसमें 6 महीने के लिए हमें 2050 मीट्रिक टन घी मंदिर को पहुंचाना था। लेकिन इतने कम पैसे में हमें नुकसान हो रहा था इसलिए हमने 350 मीट्रिक टन ही घी दिया। फिलहाल हम अपने घी की कीमत 400 से ज्यादा चाहते हैं।
[typography_font:14pt;" >KMF (कर्नाटक मिल्क फेडरेशन) के MD ने कहा कि अगले 6 महीने में फिर से टेंडर निकलेंगे और हम फिर से अपनी बोली लगाएंगे। KMF एक स्वतंत्र संस्था है कोई सरकारी नहीं कि हम इतने कम कीमत में अपना घी दें।
मंदिर से सरकार को अरबों की कमाई
बता दें कि हिंदुओं का तिरुपति बालाजी में आस्था होने के कारण हर साल करोड़ों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, तिरुपति बालाजी मंदिर का करीब 5,300 करोड़ रुपये का 10.3 टन सोना और 15,938 करोड़ रुपये कैश बैंकों में जमा हैं। इस तरह इस मंदिर की कुल संपत्ति 2.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जाती हैं।
सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए गए रिपोर्ट के मुताबिक उसे हर साल लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का हिंदू धन जो हम धर्म के लिए मंदिर में देते हैं, वह सरकार की जेब में जाता है और सरकार इसका इस्तेमाल करती है। सरकार इस पैसे का उपयोग मदरसा, चर्च और अन्य कार्यों के लिए करती है। लगभग 10-15% पैसा हिंदू धर्म के लिए इस्तेमाल किया जाता है जबकि बाकी अन्य कामों में जाता है।
ये भी पढ़ें- नूंह हिंसा पर ओवैसी ने हिंदू संगठनों को बताया जिम्मेदार, बोले- हिंसा के मास्टरमाइंड मोनू मानेसर…
Published on:
01 Aug 2023 01:45 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
