
उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटों की गिनती जारी (Photo-X)
Vice Presidential Election 2025: देश का नया उपराष्ट्रपति चुनने के लिए 9 सितंबर को वोटिंग (Vice President of India election 2025) होगी। सियासी पारा पूरे उफान पर है। यह पद भले ही संवैधानिक है, मगर आम चुनाव की तरह पूरी सियासी लॉबिंग की गई है। उम्मीदवारों के लिए राजनीतिक गोटियां फिट कर दी गई हैं। एनडीए और इंडिया गठबंधन ने बूस्टर डोज दे कर बूस्ट अप कर दिया है। सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक सांसद वोट डाले जाएंगे और शाम 6 बजे से गिनती शुरू हो जाएगी। मंगलवार शाम तक देश को नया उप राष्ट्रपति मिल जाएगा। इस बार NDA के सी पी राधाकृष्णन (C P Radhakrishnan) और इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी (B. Sudarshan Reddy) के बीच कट्टर मुकाबला (Cross voting in parliament) है।
नियमानुसार उप राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डालते हैं। इस चुनाव में व्हिप जारी नहीं होता, यानि सांसद पार्टी लाइन से हट कर भी वोट कर सकते हैं। गुप्त मतदान होने की वजह से क्रॉस वोटिंग की संभावना हमेशा बनी रहती है।
राज्यसभा में 239 और लोकसभा में 542 सदस्य हैं, लेकिन BJD और BRS ने मतदान से दूरी बना ली है, जिससे अब 780 सांसद ही वोट डालेंगे। ऐसे में जीत के लिए जरूरी आंकड़ा 386 वोट रह गया है। जबकि पहले यह आंकड़ा 391 था।
जानकारी के अनुसार NDA के पास करीब 425 सांसदों का समर्थन है। YSR कांग्रेस (11 सांसदों) ने खुल कर NDA का समर्थन किया है। AAP की स्वाति मालीवाल के NDA को वोट देने की खबरें भी सामने आ रही हैं। वहीं INDIA गठबंधन भी क्रॉस वोटिंग रोकने और निर्दलीयों को जोड़ने की कोशिश कर रहा है।
बीजेडी (BJD) के पास राज्यसभा में 7 सांसद हैं, जबकि बीआरएस (BRS) के पास 4 सदस्य हैं। दोनों पार्टियों ने मतदान से दूरी बना ली है, जिससे यह बात साफ हो गई है कि ये दल किसी खेमे के साथ खुल कर नहीं आना चाहते। BRS के पीछे राजनीतिक गणित है — तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट पर उप चुनाव होना है, जहां मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में हैं। इसलिए पार्टी को खुल कर NDA का साथ देना मुश्किल है।
सियासी सीन यह है कि BJD और BRS का मतदान से दूरी बनाना विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के लिए बड़ा झटका है। खासकर NDA को उम्मीद थी कि BJD समर्थन देगी, लेकिन नवीन पटनायक ने इससे किनारा कर लिया। इधर YSR कांग्रेस ने खुल कर NDA का समर्थन करके दक्षिण भारत में भाजपा की रणनीति को मजबूती दी है। उधर, AAP की स्वाति मालीवाल जैसे नाम NDA को अप्रत्याशित फायदा दे सकते हैं।
क्रॉस वोटिंग की आशंका ने INDIA ब्लॉक को चिंतित किया है। हालांकि सभी दल अपने सांसदों को "संविधान के प्रति जिम्मेदारी" की याद दिला रहे हैं।
यदि NDA प्रत्याशी बड़े अंतर से जीतते हैं, तो यह INDIA गठबंधन के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका होगा — विशेषकर 2026 के लोकसभा चुनाव से पहले यह बहुत खास रहेगा। यदि जीत का अंतर बहुत कम होता है, तो INDIA ब्लॉक अपनी एकजुटता का दावा कर सकता है और इसे सरकार के खिलाफ एक मजबूत संदेश बताएगा।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि क्रॉस वोटिंग या निर्दलीय सांसदों का झुकाव अगर विपक्ष की ओर गया, तो इससे NDA को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि BJD और BRS का इस तरह "तटस्थ" हो जाना, शायद 2026 के चुनावों के लिए खुद को "तीसरा विकल्प" या गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश है। जबकि BRS का ध्यान जुबली हिल्स विधानसभा सीट के उपचुनाव पर है, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसे में वह खुल कर भाजपा का समर्थन नहीं कर सकती।
इधर यह भी एक संभावना है कि ये पार्टियां भविष्य में किसी गठबंधन के साथ "बोलचाल की स्थिति" बनाए रखने के लिए अभी किसी का साथ नहीं ले रही हैं — यानी राजनीतिक सौदेबाज़ी की गुंजाइश बनाए रखना।
आकलन के अनुसार चुनाव में अकाली दल, जेडपीएम और वीओटीटीपी के एक-एक सांसद का रुख अभी साफ नहीं है। वहीं 7 निर्दलीयों में से 3 सांसदों का वोट किसे जाएगा, यह भी साफ नहीं हो पाया है। ऐसे में क्रॉस वोटिंग या पाला बदलने की पूरी संभावना बनी हुई है।
शीर्ष वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने इस चुनाव को "राजनीतिक नैतिकता की परीक्षा" बताया है। उनका कहना है कि उप राष्ट्रपति पद कोई मामूली पद नहीं है, और सांसदों को सोच-समझकर वोट करना चाहिए। जनता भी इस चुनाव को बारीकी से देख रही है, क्योंकि यह सिर्फ एक व्यक्ति का चुनाव नहीं, राजनीतिक दिशा का संकेत भी है।
बहरहाल NDA के उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है, लेकिन जीत का अंतर क्या होगा, यह मतदान वाले दिन ही साफ होगा। गुप्त मतदान और कुछ पार्टियों के पाला बदलने की संभावना ने इस मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
Updated on:
08 Sept 2025 08:32 pm
Published on:
08 Sept 2025 08:31 pm
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