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Wayanad landslide: हादसे के बाद एक्शन में आई IAF, विमानों व हेलीकॉप्टर के जरिए की 53 मीट्रिक टन राहत सामग्री की आपूर्ति

Wayanad landslide: रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यहां सी-17 विमानों ने बचाव सहायता कार्यों के लिए बेली ब्रिज, डॉग स्क्वॉड, चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यक उपकरणों जैसी 53 मीट्रिक टन आवश्यक साजो-सामान की आपूर्ति की है।

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भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान वायनाड में महत्वपूर्ण रसद आपूर्ति के साथ-साथ निकासी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वायनाड में हुए विनाशकारी भूस्खलन में 175 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

सी-17 विमानों ने सामान की आपूर्ति की

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यहां सी-17 विमानों ने बचाव सहायता कार्यों के लिए बेली ब्रिज, डॉग स्क्वॉड, चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यक उपकरणों जैसी 53 मीट्रिक टन आवश्यक साजो-सामान की आपूर्ति की है। इसके अतिरिक्त वायनाड के प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री और कर्मियों को लाने-ले जाने के लिए एएन-32 और सी-130 का उपयोग किया जा रहा है।

सामूहिक रूप से वायुसेना के विमानों ने बचाव दलों को आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचाकर विस्थापित निवासियों सहित 200 से अधिक लोगों को वहां से निकाला है। चुनौतीपूर्ण मौसम के कारण उड़ान भरने में बाधा आ रही है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) ऑपरेशन के लिए यहां यह विशेष ऑपरेशन जारी है।

बचाव कार्यों के लिए हेलीकॉप्टरों का एक विविध बेड़ा भी तैनात

यहां राहत एवं बचाव कार्यों के लिए हेलीकॉप्टरों का एक विविध बेड़ा भी तैनात किया गया है। एमआई-17 और ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) को मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान में शामिल किया गया है। व्यापक रूप से खराब मौसम की स्थिति के बावजूद वायुसेना के विमान फंसे हुए लोगों को निकटतम चिकित्सा सुविधाओं और सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाने और आवश्यक आपूर्ति पहुंचाने में लगे हुए हैं।

बचाव अभियान के चलते इन हेलीकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित निकाला है। भारतीय वायुसेना का कहना है कि वे केरल के आपदाग्रस्त लोगों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गौरतलब है कि हाल ही में केरल के वायनाड में हुए विनाशकारी भूस्खलन को देखते हुए भारतीय वायु सेना ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य प्रशासन जैसी अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करके 30 जुलाई की सुबह से बचाव और राहत अभियान शुरू किया।

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