इस सम्मेलन में अफगानिस्तान मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, जिसमें तालिबान की ओर से काबुल में नई सरकार बनाने और उससे दूसरे देशों को उत्पन्न होने वाले खतरों पर बात की जाएगी। इसके अलावा, सम्मेलन में कुछ अन्य वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
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बता दें कि यह दूसरी बार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले वर्ष 2016 में गोवा में यह शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ने की थी। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, न्यू डेवलपमेंट बैंक के अध्यक्ष मार्कोस ट्रायजो, ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल के अस्थायी अध्यक्ष ओंकार कंवर और ब्रिक्स बिजनेस अलायंस की अस्थायी अध्यक्ष डॉ. संगीता रेड्डी एक साल के काम काज का ब्योरा प्रस्तुत करेंगी।
ब्रिक्स का पूरा नाम ब्राजील, रूस, इंडिया, चाइना और साऊथ अफ्रीका है। वर्ष 2010 से पहले केवल चार देश इसके सदस्य थे। 2010 में चीन के प्रस्ताव पर साऊथ अफ्रीका इस संगठन का हिस्सा बना था। 16 जून 2009 को इसका पहला शिखर सम्मेलन रूस में हुआ। इसमें भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ शामिल हुए थे।
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इस शिखर सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका पहली बार सदस्य के तौर पर 2011 में शामिल हुआ था। ब्रिक्स का मुख्यालय शंघाई में है। वर्ष 2014 में ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक और कांटिजेंट रिजर्व अरेंजमेंट नाम की दो वित्तीय संस्थाओं का गठन इस संगठन की ओर से किया गया था।